वाराणसी।हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वाराणसी केमणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली का आयोजन किया गया। मगर नागरिक संगठनों के प्रबल विरोध और पुलिस की सक्रियता के चलते डी.जे. का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं हुआ।
भारत देश के कानून के मुताबिक दिन के दौरान साउंड बॉक्स से 1 मीटर की दूरी पर 65-70 डेसीबल से अधिक का कोई भी साउंड (डीजे का न्यूनतम साउंड भी 100 डेसीबल होता है), केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही बजाया जा सकता है।
इस मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता अजय शर्मा (सनातन रक्षक दल) और अतुल कुल सहित तमाम युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को जगाने का कार्य किया।
फिर काशी विद्वत परिषद के साथ ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय द्वारा भी इसे अशास्त्रीय इवेंट बताया गया।
पुलिस द्वारा एडवांस में डी.जे. को प्रतिबंधित किए जाने की घोषणा के बाद भी, जब कार्यक्रम के कुछ घंटे पहले रात्रि में बड़ा स्पीकर, घाट पर पहुंच गया तो लोगों ने इसकी सूचना ‘सत्या फाउंडेशन’ को दी।
संस्था के संस्थापक सचिव, चेतन उपाध्याय ने रात्रि लगभग 2:00 बजे एक्स पर पोस्ट करते हुए शासन-प्रशासन से मांग की कि श्मशान घाट और शवों की गरिमा के लिए, मणिकर्णिका घाट के इस कार्यक्रम में किसी भी तरह के स्पीकर को बिल्कुल ही ना लगने दिया जाए।
बनारस में मसाने की होली में डी.जे. के कारण, हर साल ही लोगों में अनावश्यक उत्तेजना और उन्माद बढ़ जाता था मगर इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिसका समाज के हर वर्ग ने स्वागत किया है।वैसे तो पुलिस आयुक्त श्री मोहित अग्रवाल ने डी.जे. पर प्रतिबंध हेतु पहले ही घोषणा कर दी थी।
मगर आज मंगलवार को सुबह, पुलिस कमिश्नर श्री मोहित अग्रवाल, खुद अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मणिकर्णिका घाट पर मौजूद थे। समय सीमा समाप्त होते ही, भीड़ को हटाने तक मौजूद रहे। और यह सुनिश्चित किया कि धर्म और परम्परा की आड़ में मणिकर्णिका घाट पर किसी भी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण और अराजकता न हो।
डी.जे. के बिना शान्ति पूर्वक और गरिमापूर्ण तरीके से चिता भस्म की होली के संपन्न होने पर ‘सत्या फाउंडेशन’ ने नागरिक संगठनों और वाराणसी पुलिस के आयुक्त श्री मोहित अग्रवाल को हार्दिक धन्यवाद दिया है।