
1996 से 2024 तक काशीरत्न© से अलंकृत
पत्रकारिता सेवा
स्व० आर. के. जेन, स्व० मुनु प्रसाद पाण्डेय, रव० सलामुल्लाह सिद्दकी, स्व० जवाहर लाल सेठ, श्री राजेन्द्र शुक्ल, श्री सत्येन्द्र श्रीवास्तव, स्व० शिवशंकर पाण्डेय, स्व० साधना विकास, श्री ओम प्रकाश सिन्हा, श्री अवधेश सिंह, बी कैलाश नाथ, श्री राघवेन्द्र चना, श्री कौसर अली कुरैशी, कु० सरोज सिन्हा, स्व० अंजुम कुरैशी, स्वा० जे. एन. सिंह, स्व० शाहीन मोहसिन, श्री रंजीत रघुवंश, स्व० नरेन्द्र द्विवेदी, श्री ताजुद्दीन अशअर, श्री बी० पी० पाठक, श्री शैलेन्द्र श्रीवास्तव, श्री राम दयाल, डा० स्वें) कमल गुप्त, श्री राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, श्री आलोक पराइकर, स्व० डा० आनन्द बहादु सिंह, स्व० डा० भगवान दास अरोड़ा, श्री काजिम रिजवी, त्त्व० रामलखन सेठ शास्त्री, श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव, श्री दिनेश चन्द्र मिश्र, श्री विजय कुमार सिंह (विजय विनीत), श्री विनय कुमार, डा० राम मोहन पाठक, श्री जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, श्री रमेश कुमार सिंह, श्री शशिधर इस्सर, श्रीमती उषा श्रीवास्तव, डा० दिग्विजय सिंह, श्री कुमार विजय, डा० पी. उपेन्द्र, श्री राधेश्याम कमल, श्री कमल नयन मधुकर, श्री राजेश मिश्रा, श्री राकेश यादव ‘रौशन’, श्री काशीनाथ शुक्ला, श्री प्रदीप श्रीवास्तव, श्री जगत शर्मा, डा० तुलसी दास मिश्र, श्री जिया लाल, श्री अमर नाथ श्रीवास्तव, डा० ओम प्रकाश केजरीवाल, आशीष बागची, हा० अनुपम गुप्ता, अजय कुमार वर्मा, वृत्तान्त श्रीवास्तव, डॉ० अर्जुन तिवारी, हरि बाबू श्रीवास्तव, अन्नू, श्रीमती बृजबाला दौलतानी, शिव मूर्ति दूबे, गोपाल जी राय, अरविन्द कुमार विश्वकर्मा, चक्रवर्ती विजय नावह, दीनबन्धु रोय, आलोक कुमार त्रिपाठी, ज्ञान सिंह रौतेला, कविन्द्र नारायन श्रीवास्तव,
छायाकार
श्री विजय सिंह, श्रीराम शंकर सिंह, स्व० कैलाश मारवाह, स्व० मंसूर आलम, श्री वी.पी. यादव, श्री राकेश सिंह, स्व० अनिल कुमार पासी, श्री संतोष कुमार प्रजापति, अनिरुद्ध पाण्डेय
चिकित्सा सेवा
डा० अजीत सहगल, डा० एस. सी. गोयल, डा० ओम प्रकाश शर्मा, डा० आशुतोष पाठक, डा० विवेक कुमार शर्मा, डा० प्रो० सरोज चूड़ामणि गोपाल, डा० अनिल कुमार राय, डा० काशीदत्त पाठक, डा० अरुण कुमार श्रीवास्तव, डा० अमित कुमार रस्तोगी, डा० पी० सी० शर्मा, प्रो० लक्ष्मी कांत पाण्डेय, डा० अशोक कुमार राय, प्रो० सुलेखा पाण्डेय, डा० के. के. सिंह (कृष्ण कुमार सिंह), डा0 ओम शंकर, डा० नूतन सिंह, डा० राजेश कुमार जायसवाल, डा० रितु गर्ग, डा० संजय गर्ग, डा० प्रेम शंकर पाण्डेय, डा० विकास अग्रवाल, डा० मोहित सक्सेना, डॉ० सुनील कुमार गौतम, डॉ० जे. के. अग्रवाल, डॉ० शिव शक्ति प्रसाद द्विवेदी, डॉ० राम निवास मीना, डॉ० अनिल तिवारी, डॉ० कमलेश कुमार द्विवेदी, डॉ० अभिनव, डा० विजय कुमार श्रीवास्तव, प्रो० नीरज कुमार अग्रवाल, डा० संध्या यादव, डा० अनुभा श्रीवास्तव, डा० राजकुमार प्रजापति, डा० अजय कुमार पाण्डेय, डा० राधेश्याम आनन्द, डा0 महेश कुमार गुप्ता (एम. के. गुप्ता), डॉ० श्याम सुन्दर नीरज, डॉ० स्नेहा गुप्ता, डॉ० विमल कुमार त्रिपाठी
साहित्य सेवा
स्व० प्रो० दयाशंकर सिंह, श्री दिनेशचन्द्र पाण्डेय (नजर कानपुरी), श्री नस्तर बनारसी, डा0 श्रीमती प्रेमा खुल्लर, डा० मुक्ता, डा० श्री प्रसाद, स्व० राम जियावन दास बावला, श्री महेन्द्र कुमार सिंह नीलम, डा0 अच्युतानन्द घिंडियाल, डा० रमेश प्रसाद गर्ग, श्री कौशिक रविन्द्र उपाध्याय, डा० छविनाथ पाण्डेय, प्रो० नसीमा फारूकी डा० श्रीमती जयशीला पाण्डेय, मिथिलेश कुमार कुशवाहा, डा० आरती स्मित, श्री भारत भूषण यादव, मु० सलीम शिवालवी, राजेन्द्र प्रसाद बेरी, श्रीमती सावित्री गौड़ मंजरी, डा० लियाकत अली। राम नरेश (नरेश, डॉ० बृजेन्द्र नारायण द्विवेदी (शैलेश), डा० सुबाष चन्द्र
आकाशवाणी, दूरदर्शन, इलेक्ट्रिानिक चैनल
श्री शिवमूरत सिंह, श्री रामकृष्ण राव बावुल, श्री हरी लाल, स्व० नरेश रुपानी, डा० श्री रामजी मिश्र, श्री बृजभूषण शर्मा, श्री शिवमंगल सिंह मानव, श्रीमती वीणा कालिया, श्री प्रेमनारायण, सैयद सलमान हैदर, डा० रविशंकर, श्री धर्मेन्द्र सिंह दीनू, डा० संतोष कुमार मिश्रा, श्री शशांक मिश्रा, श्री संजय कुमार गुप्ता, श्री कीर्ति विश्वकर्मा, श्री शैलेश चौरसिया, श्री प्रवीण तिवारी, राजेश कुमार गौतम, अरुण कुमार पाण्डेय “अभिनव अरुण”, अनुज मिश्रा,
विधिसेवा
श्री न्यायमूर्ति गणेशदत्त दूबे, श्री नित्यानन्द चौबे (एडवोकेट), श्री विशाल जायसवाल (एडवोकेट), श्री अजय कुमार सिंह (एडवोकेट), स्व० राजाराम गुप्ता, श्री मिलन जायसवाल, श्री सत्यनारायण द्विवेदी (एडवोकेट), जय प्रकाश राय (एडवोकेट), श्री हृदय नारायण द्विवेदी (एडवोकेट), श्री राधे मोहन त्रिपाठी, सुश्री चन्द्रा शाह (एडवोकेट), सौरभ कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट), न्यायमूर्ति काशी नाथ पाण्डेय, अरुण कुमार त्रिपाठी (एडवोकेट), हरिशंकर सिंह (एडवोकेट), अजय कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट), इन्द्रदेव मिश्रा (एडवोकेट), जियाउद्दीन फारुकी, स्व० गंगेश्वर प्रसाद अग्रवाल (एड.), डॉ० सुकृत सिंह यादव, गोपाल नारायण मिश्र, अजय प्रताप सिंह
शिक्षा क्षेत्र
सर्वश्री प्रो० अरविन्द जोशी, स्व० डा० राजेश कुमार गुप्त, स्व० (श्रीमती) जनक दुलारी सिंह, डा० हरिओम सिंह, स्व० महातिम सिंह, स्व० डा० कमला प्रसाद पाठक, डा० हर्ष नाथ सिंह, मेजर पी. आर. पाण्डेय, स्व० प्रो० सोम नाथ त्रिपाठी, कमालुद्दीन फारूकी, डा0 ओम प्रकाश द्विवेदी, डा० मनोरमा सिंह, डा० कैलाश कुमार मिश्र, श्रीमती डाली भाटिया, डा० राजनाथ, श्रीमती दिव्या चतुर्वेदी, डा० दीनानाथ सिंह, प्रो० मीरा दूबे, प्रो० व्यास मिश्र, प्रो० सुभाष चन्द्र तिवारी, अधिर कुमार झा, डा० प्रतिमा गोंड, प्रो० यदुनाथ प्रसाद दूबे। पद्मभूषण प्रो० देवी प्रसाद द्विवेदी, प्रो० दुर्गानन्दन प्रसाद तिवारी। प्रो० प्रेमा नारायण सिंह, श्रीमती सरिता अग्रवाल, श्रीमती विनीता गौड़, राम बाबू, प्रो. हीरक कान्ति चक्रवती, संजय श्रीवास्तव, श्री प्रकाश दूबे, प्रो० कमला कान्त त्रिपाठी, प्रो० कौशल किशोर मिश्र, डॉ० आनन्द पाल राय, शेखर खन्ना, प्रो० राम पूजन पाण्डेय, प्रो० शोम शंकर दुबे, डॉ० जगमोहन शर्मा, प्रो० बिहारी लाल शर्मा, प्रो० जितेन्द्र कुमार
समाजसेवा, संगीत, प्रशासनिक, नाट्य खेल एवं अन्य
श्री रमेश कुमार चौधरी, शेख एस० एम० खुर्शीद, श्रीमती पल्लवी पाठक, श्री कुमारी दिव्या, डा० आशीष निधि वर्मा, श्री विश्वजीत सरखेल, श्री संदीप सिंह, डा० पुष्पा सेठ, श्री नरेन्द्र सिंह, श्रीमती सपना अंबष्ट, श्री सुयश कुमार पाठक, श्री मौलाना अजीजुरुहसन सिद्दीकी, श्री कृष्ण कुमार अंबष्ट, श्री सुरेन्द्र मिश्रा, श्री मृगांग शेखर पाठक, श्री अपूर्व उपाध्याय, श्री सुरेश गर्ग, श्री संदीप यादव, श्री आशीर्वाद सिं, ह श्री प्रभात शाही, कु० अदीब, श्री अभिषेक जायसवाल, डा० श्रीमती उषा शाही, श्री पं० कालीशंकर त्रिपाठी, डा० श्रीमती मैथिलीशरण श्रीवास्तव, श्री जिया अंसारी, श्री दीपक अग्रवाल, स्व० उमाशंकर सिंह, श्री दानिश रजा, श्री विमल जैन, श्री पं० शिवनाथ मिश्र, श्री मुकुन्द लाल सर्राफ, श्री बाल कृष्ण चौधरी, श्री विद्या शंकर त्रिपाठी, श्री श्याम लाल जोशी, श्री देवेन्द्र गोयल, मो० शफीक अंसारी, डा० मीना कुमारी, श्री नरसिंह दास अग्रवाल, श्रीमती वर्षा शुक्ला, श्री श्रीराम यादव, श्री ज्ञानेश्वर सिंह, श्री अनिल जैन, स्व० चन्द्र मोहन श्रीवास्तव, डा० श्री अनूप कुमार जायसवाल, श्री प्रमोद कुमार पाठक, श्री जमाल हुसैन खान, श्री पं० देवव्रत मिश्रा, डा० इरावती, श्री मनोज कुमार पाण्डेय, कुमारी स्वधादेव सिंह, श्री सुधीर कुमार रस्तोगी, श्री कृष्ण नारायण सोनी, श्री मोती लाल गुप्ता, श्री सरदार कुलदीप सिंह, श्री दीनानाथ झुनझुनवाला, श्री शकील खान, श्री मुख्तार कुरैशी, ई. अखिलेश तिवारी, श्री हाजी नासिर जमीन, श्रीमती शांती देवी कपूर, श्रीमती पल्लवी पाण्डेय, ई. सुरेन्द्र नाथ गौड़, श्री राम दुलारे सर्राफ, बलराम दास, अजीत सिंह, आनन्द कुमार सिंह ‘अन्ना’, मोहम्मद इसहाक उसमानी, आचार्य जनार्दन पाण्डेय, राकेश कुमार सिंह, डा० बख्तियार मसूद उसमानी, युगल किशोर सिंह, अखिलेश्वर राम मिश्रा, प्रो० कृष्णा कृष्णा चक्रवर्ती, राम गोपाल सर्राफ, डॉ० जगदीश पिल्लई, डा० नीतू पाड़िया, बहाउद्दीन फारुकी, विनय कुमार शाजेहा, काजी मो० इब्राहिम, डा० गीता कुमारी, राहुल कुमार सिंह, महेन्द्र राज लुनावत, विष्णु प्रकाश गुप्ता, सैयद रेहान मुस्तफा। डॉ. मार्कण्डेय, राम पाठक, अशोक जी अग्रवाल, बंशीधर दूबे, श्रीमती ऐश्वर्या श्रीवास्तव, श्रीमती शान्तिबाला देवी, अनुपम सिंह, पवन रघुवंशी, डा० विजय कपूर, राजीव गौतम, डा० अमिता श्रीवास्तव, दीपक मिश्रा, अशोक कुमार, श्याम जी वर्मन, डा० सत्या सिंह, डा0 राजकुमार सिंह, विवेक कुमार सिंह, डा० सन्ध्या गुप्ता, सुश्री कोमल सिंह, पं० प्रकाश मिश्रा, श्रीमती विन्दु सिंह, श्रीमती विजयता सचदेवा, डा० शुभ्रा वर्मा, शुभम कुमार सेठ, डा० सुशील कुमार, श्रीमती शिल्पी सिंह, अभिषेक कुमार राय

वाचस्पति डा० दिव्य चेतन ब्रह्मचारी
काशीरत्न – 2025
वाचस्पति डा० दिव्य चेतन ब्रह्मचारी द्वारा अर्जित धन से विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा व्याकरण ज्ञान हेतु खर्च कर अध्ययन कराते हैं। तेनाली परीक्षा उत्तर भारत का प्रथम है। जो सात साल का कोर्स तीन साल में पूरा कराया। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय व्याकरण विभाग के सहायक आचार्य, पिता कालिका प्रसाद शुक्ल, माता राममूर्ति शुक्ल के योग्य पुत्र का एक ही लक्ष्य वेद व्याकरण के विद्यार्थी को पूरा ज्ञान हो देश विदेश में भारतीय संस्कृति का पताका फहरे। आपको पाणिनी पुरस्कार सहित आठ सम्मान मिला है। विभिन्न समितियों के अध्यक्ष व सदस्य रहें हैं। आपकी 6 पुस्तक अनेको शोधयात्रा सहित संस्कृत व्याकरण, वेद पर आपका विशेष स्थान है।
आपका लक्ष्य है छात्रों को गुण शास्त्र का ज्ञान है। भारतीय संस्कृति लुप्त न हो।
शम्भू शरण श्रीवास्तव
काशीरत्न – 2025
गोरखपुर में जन्में गणेश प्रसाद श्रीवास्तव व शैल कुमारी के ज्येष्ठ पुत्र शम्भू शरण श्रीवास्तव अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने दादा रामस्वरुप प्रसाद श्रीवास्तव से ग्रहण किया। आपके दादा विद्यालय में अध्ययन के लिए ले गये। आपके कुशाग्र विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए सीधे कक्षा 6 में प्रवेश मिला। स्नातक उपाधि के पश्चात् आपका सहायक विक्रीकर अधिकारी पद से सेवा करने का अवसर मिला। निष्ठा परिश्रम का परिणाम रहा विक्रीकर विभाग के डिप्टी कमीशन बन जन सेवा किया। डिप्टी कमीशन पद से सेवा निवृत्त होने पर माता पिता दादा के आदर्श का अनुसर करते हुए समाज में आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति का प्रत्येक स्तर पर सहयोग व मार्ग दर्शन करते रहते हैं। भूखे व्यक्ति को भोजन करना, जरुरतमंद को सहयोग करने को सदैव तैयार रहते हैं।
श्रीमती राधा सिंह
काशीरत्न – 2025
श्रीमती राधा सिंह अपने जीवन के चालीस वर्ष समाज के उत्थान में समर्पित कर चुकी हैं। बचपन से ही अरुणांचल प्रदेश में आदिवासी जनों के साथ स्वच्छता, व्यक्तिगत देख भाल, स्वास्थ्य देखभाल, जन जागरुकता, आदिवासीलोगों के साथ बाहरी लागों के जुड़ाव का कार्य आदिवासियों के बीच फैली कुरितियों को दूर करने का प्रयास कुछ लोगों द्वारा आदिवासियों को बहकाकर परिवर्तन ईसाई धर्म को रोकने का कार्य किया। आपके प्रेरणाश्रोत दादा हुकुम सिंह व पिताश्री श्याम शंकर सिंह हैं। श्रीमती राधा सिंह को उक्त कार्य हेतु अनेकों सम्मान मिला है। साहित्य सेवा में 288 रचनाएँ प्रकाशित है। शिविर के माध्यम से नेत्र चिकित्सा निःशुल्क सेवा प्रदान करती हैं। आपक महिला प्रमुख सक्षम काशीप्रान्त हैं। मनोविज्ञान से परास्नातक किया है। आपके प्रेरणा स्त्रोत दादा हुकुम सिंह हैं। आपका कार्यक्षेत्र दिव्यांग सेवा है। आपका प्रयास है कि दिव्यांग स्वरोजगार करे, आश्रित न हों।
आपका विचार है कि दिव्यांगजन अपने बल पर अच्छा जीवन यापन कर सकें।
प्रभात वर्मा
काशीरत्न – 2025
“जिनके इरादे मेहनत की स्याही से लिखें हो, उनके किस्मत के पने कभी खाली नहीं होती।”
‘कुछ ऐसा ही है लेखक, पत्रकार, अभिनेता, चिंतक, समीक्षक और समाज सेवी श्री प्रभात वर्मा जी का।
श्री वर्मा जी का जन्म 01 जनवरी 1957 को नालंदा जिले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के ककैया गाँव में हुआ था। इनके पिता जी का नाम स्व० मथुरा प्रसाद वर्मा तथा माता जी का नाम स्व० राधिका देवी हैं। विधि शास्त्र की डिग्री बिहार लॉ कॉलेज से प्राप्त की। युवाअवस्था इन्हें साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवा प्रदान करने के लिए प्रेरित किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए साहित्य सेवा की प्रस्तुति दी। जन मानस में योगदान के लिए दस्तक प्रभात टीवी न्यूज चैनल का सम्पादन व संचालन किया। मगही भाषा के उत्थान के लिए सदैव प्रयासरत रहे। आपको मगही भाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा हेतु बिहार सरकार न सम्मानित किया। सम्पूर्ण क्रान्ति के समय आप सामाजिक दायित्व को भी निभाये। आपके अनुपम कृतियों और विशाल अनुभवों को देखते हुए जन मानस आपको आधुनिक भिष्म पितामह कहता है।
प्रकाश कुमार श्रीवास्तव “गणेश जी”
काशीरत्न – 2025
गाजीपुर में जन्में माता धनेश्वरी देवी, पिता त्रिलोकी प्रसाद श्रीवास्तव के अनुशासन प्रिय सुपुत्र प्रकाश कुमार श्रीवास्तव “गणेश जी” अपने पिताश्री के साथ ‘शिक्षा ग्रहण करने हेतु वाराणसी आये। चूंकि आपके पिताश्री वाराणसी में आयकर अधिकारी रहे। शिक्षा स्नातक प्राप्त कर टेन्ट व कैटरिंग क्षेत्र को अपना कर्मभूमि बनाया वर्तमान में वाराणसी ही नहीपूर्वांचल में टेन्ट व कैटरिंग के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। प्रकाश कुमार श्रीवास्तव “गणेश जी” का 1981 में श्रीमती मीना श्रीवास्तव के साथ पाणिग्रह कर समाज के आर्थिक रुप से कमजोर शिक्षा से दूर रहने वालों की सेवा में लगे। इनके नजर में कोई भी अभाव वाला व्यक्ति समाज को मिल जाता है। बड़ी तन्मयता के साथ सेवा में लग जाते हैं। आपको समाज सेवा, प्रबन्धन के क्षेत्र में अनेकों सम्मान से सम्मानित किया गया है। आपका विचार है कि सभी की आकांक्षा पूरी हो, समाज व व्यवसाय का उत्थान हो।
पं० सुखदेव मिश्र
काशीरत्न – 2025
आठ पीढ़ी जो संगीत सेवा लीन, पिता पं० भगवान दास मिश्र माता अम्बिका देवी के पुत्र पं० सुखदेव मिश्र के जन्म लेते हैं। उनके कानों में संगीत के सुरलय गुजरने लगे। संगीत भाष्कर उपाधि प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर 2004 से अबतक तीन सौ से अधिक मंच पर बेला वादन कर चुके हैं। पं० सुखदेव मिश्र अपने गुरु सारंगी वादक नारायण दास से प्राप्त कर बेला वादन में विश्व स्तर पर ले जाने का प्रेरणा प्राप्त किया। आपका कहना है कि जब मैं धरती पर आंख खोला मेरे कान में संगीत गुंजा जो आज मेरे रगरग में बस गया है। मेरे ध्येय है कि बेला वादन सम्पूर्ण विश्व में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त करें। जन-जन में बेला बजाने व सुनने का ललक है।
डा० विमल कुमार त्रिपाठी
काशीरत्न – 2025
प्रमुख समाज शास्त्री, प्रो० सोमनाथ त्रिपाठी के योग्य सुपुत्र डा० विमल कुमार त्रिपाठी वैज्ञानिक बन देश के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देने की सोच रखने वाले अपने प्रेरक गुरु परमानन्द सिंह के प्रभाव से विज्ञान के स्थान पर प्राचीन इतिहास की ओर ध्यान गया। प्राचीन इतिहास में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त डा० विमल कुमार तित्राठी सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय में 2004 से पुरातत्व संग्रहालय में अध्यक्ष पद आसिन हुए। जिस समय आप पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष बने उस समय केवल एक ही गैलरी रही। वर्तमान में आपके अथक प्रयास यूजीसी, प्रदेश सरकार के अनुदान से पाँच गैलरी में विकसित हुआ है। संग्रहालय में देश विदेश के पर्यटक, छात्रा छात्राए, शोधार्थी अध्ययन करते हैं। भारतीय पुरातत्व संस्कृति कला पर आयोजित व्याख्यान परिचर्चा में शोधार्थी शामिल होते हैं। आपका विचार है कि 1952 का बना ऐतिहासिक मुख्य भवन में संग्रहालय को स्थानान्तरित हो जाये तो परम्परा व पुरातत्व का संग्रहालय देश का प्रथम संग्रहालय हो जायेगा। विश्व स्तर पर संग्रहालय जाना जायेगा।
श्रीमती अपर्णा सिंह
काशीरत्न 2025
जौनपुर से शिक्षा प्राप्त शिक्षक श्रीमती अपर्णा सिंह प्राथमिक विद्यालय डिहवों में बच्चों को शिक्षा दे रही है। अपर्णा सिंह के पिता स्व० वीरेन्द्र बहादुर सिंह कुशल अधिवक्ता रहे, माता श्रीमती उर्मिला सिंह शिक्षक रहीं जो देश व समाज के रत्न है।बीनती अपर्णा सिंह शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा में विशेष रुचि रखती है। शिक्षण के प्रयास से कस्तुरबा विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलाने में सफल रहीं। जो बच्चों के अभिभावक बच्चों को पुस्तक, स्टेशनरी नहीं दिला पाते हैं। उन्हें अपने संचित हान से खरीद कर शिक्षा का अलख जगा रहीं है। आपका विचार है कि कोई बच्चा अशिक्षित न रहे।
कृष्ण कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट)
काशीरत्न – 2025
कृष्ण कुमार श्रीवास्तव वाराणसी जनपद न्यायालय में विगत 42 वर्ष से दिवानी वाद में वादकारियों को न्याय हित में सेवा दे रहे हैं। आपके पिता श्री मोहन लाल श्रीवास्तव पशु चिकित्सक रहे। आपने विधि स्नातक की उपाधि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1981 में प्राप्तकी। कृष्ण कुमार श्रीवास्तव वर्तमान न्यायालय के कार्य विधि से भविष्य की ओर संकेत भी करते हैं। कथन है कि वर्तमान में आमजन मानस के बीच कानून का डर नहीं है। न्याय तो मिल रहा है। पर उसके उत्तराधिकारी को। कानून की जटिलता बढ़ती जा रही है। गुणवत्ता की कमी भी होती जा रहीं है। वर्तमान में मेहनत व पढ़ाई को त्यागकर शार्टकट अपनाया जा रहा है। भविष्य के लिए नुकसान नजर आ रहा है। इन समस्या के निदान हेतु आपका सुझाव है कि जागरुकता, जनचेतना हेतु वरिष्ठों जनों को आगे आना होगा। समस्या का निदान स्वतः हो जायेगा।
