चंदौली।चंदौली जिला मुख्यालय के निकट जगदीश सराय के एक मैरिज हाल में हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेश मंत्री एवं काशी प्रान्त प्रभारी कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के प्रमुख संयोजन व संचालन, वाराणसी जिलाध्यक्ष कवि सुखमंगल सिंह मंगल के अध्यक्षता,चंदौली जिलाध्यक्ष कवि राजेन्द्र प्रसाद गुप्त बावरा के स्वागत संरक्षण एवं जिला महामंत्री नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता के स्वागत संयोजन में कवि प्रेमनारायण पाण्डेय पंकिल – मुख्य अतिथि के गरिमामयी उपस्थिति में चंदौली काव्य संगम संपन्न हुआ।
समारोह हिन्दी साहित्य भारती के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रविन्द्र शुक्ल और प्रदेश अध्यक्ष आचार्य वागीश दिनकर के दिशा-निर्देशन में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रभक्ति की भावना हर जन-जन के मन में जागृत करने,बाल, युवा, बुजुर्ग प्रतिभाशाली साहित्यिक, सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े राष्ट्रवादी लोगों को संगठित करके सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे संतु निरामया का भाव हर जन-जन के मन में जागृत करने के उद्देश्य से आयोजित रहा।
जिसमें बाल, युवा, बुजुर्ग लगभग तीन दर्जन भारत वर्ष के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े रचनाकारों ने राष्ट्र भक्तिमय रचनाओं हंसाया, गुदगुदाया, रूलाया और व्यंग और ओज की रचनाओं से देशप्रेमियों में जोश भरा। आयोजन अध्यक्ष कवि सुखमंगल सिंह मंगल एवं आयोजन संरक्षक राजेन्द्र गुप्त बावरा ने कहा कि हिन्दी साहित्य भारती परिवार आदर्शवादी, अनुशासित, राष्ट्रभक्त लोगों को संगठित करके मानव समाज के पथभ्रष्ट लोगों की ग़लत नितियों को नेस्तनाबूद करने के लिए सदैव जन-जागरण करती रहेगी।
चंदौली काव्य संगम में कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने – आव हे वीणा वाली, आव हंस वाहिनी, आसरा क लेले बानी थाली,हे वीणा वाली वीणवा बजाय द, शोला यहीं, शबनम यही, बारूद यही बम,गाते रहो रे गीत मीत वन्देमातरम्,सुखमंगल सिंह मंगल ने – ना मांग किसी और से उषा की रश्मियां, खुद से ही अपने आप में खुद प्रकाश कर, डॉ. विनय कुमार वर्मा ने – हो रही पूछ तो इतराओ मत,मिल रहा निमंत्रण तो घबड़ाओ मत, हरिवंश सिंह बवाल ने -जिसे रोना नहीं आता,हंसी भी वो कर नहीं सकता,जो मरना चाहता है वो खुदकुशी कर नहीं सकता, राजेश विश्वकर्मा राजू ने – जहां पे होता है सभी धर्मों का सम्मान,वो अपना प्यारा हिंदुस्तान, अलियार प्रधान ने – हमें गर्व है हमी से कि हम हैं हिन्द के वासी, गंगा -जमुना सरस्वती,दिल में है मथुरा -काशी, अजय कुमार ने -जागरण का समय अब आ गया भारत के सम्मान की सब मिलजुलकर जय -जय बोलो हिन्दुस्तान की, लवकुश मिश्र – पूर्व प्रधानाचार्य ने – क्यों बैठे हो ग़म की चादर ओढ़, कभी इससे बाहर भी आया करो, कुछ बैठ दोस्तों के संग, कुछ हंसो और हंसाया करो, मुनक्का मौर्या ने – क्यूं मेरी अवसान हो रही है,जागा देशवा क असली जुझारू प्रहरी, कृष्णा मिश्रा ने – हजारो दबाव दफन करके मैं आऊंगा, तिरंगा अपना कफ़न करके मैं आऊंगा,तेजबली अनपढ़ ने- तूं हो जननी मेरी, मैं हूं बालक तेरा,डॉ. सुरेश अकेला ने -हमारा देश दुनियां में सबसे न्यारा है, यहां हर जाति, धर्म के लोगों का संबंध इक-दूजे में प्यारा है, राजेन्द्र प्रसाद भ्रमर ने – लहू की प्यास है जिनको उसे शैतान कहते हैं,रहम का भाव हो जिसमें उसे इन्सान कहते हैं , नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता ने – अरे सुनले पाकिस्तान, तेरे नापाक इरादों को हम-सब नेस्तनाबूद कर देंगे, तेरे देश के दहशतगर्दियों के नापाक इरादों को चकनाचूर कर देंगे सहित अनेकों रचना अभय नारायण उपाध्याय, राजेन्द्र प्रसाद गुप्त बावरा, रविन्द्र नाथ सिंह, कमलदेव आर्य स्वदेशी, बृजेश कुमार, डॉ. रामकेवल शर्मा, कैलाश नारायण करूण, अरूण कुमार आर्य, डॉ. हरिवंश सिंह बवाल, प्रेमनारायण पाण्डेय पंकिल – मुख्य अतिथि सहित अनेकों रचनाकारों ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।
स्वागत संबोधन कार्यक्रम संरक्षक एवं चंदौली जिलाध्यक्ष कवि राजेन्द्र प्रसाद गुप्त बावरा, स्वागत संयोजक, चंदौली जिला महामंत्री नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता, धन्यवाद आभार प्रमुख संयोजक/संचालक एवं हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेश मंत्री कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया ।