संस्कृत ज्ञान और समर्पण की भाषा है–कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी
मन्दिर प्रबंधन का पाठ्यक्रम संचालित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय– कुलपति प्रो शर्मा
वाराणसी।संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है, इसमें निहित ज्ञान भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता को जागृत करने का कार्य करती है।काशी ज्ञान,संस्कृति और अनेक पारम्परिक महोत्सव का स्थल है।यह विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों की धरोहर के रूप में स्थापित है।
यहां के आचार्य गण संस्कृत भाषा को अपने तक सीमित न करते हुए योजना बद्ध होकर ज़न भाषा बनाने का प्रयास करें, जिससे भाषा के विकास में योगदान प्राप्त होगा।काशी विद्वानों की नगरी है यहां के आचार्यों कर विचार सम्पूर्ण देश मे स्वीकार किये जाते हैं।इसलिए एक भाव होकर सभी लोग संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के अपने जीवन के आचार- विचार में उतारने की कोशिश करें।साथ ही अपने आसपास के वातावरण में संस्कृत-संस्कृति एवं संस्कार के अमृत सरोवर को स्थापित करें।हमे भाषा कर विकास के लिए इज़राईल के संदेश की तरफ उन्मुख होने की जरूरत है।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के पाणिनी भवन सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के अंतर्गत चल रहे विभिन्न पाठयक्रमों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उपाधि वितरित करते हुए वाराणसी जनपद के महापौर अशोक कुमार तिवारी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।
महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि संस्कृत ज्ञान और समर्पण की भाषा है, मूलतः यह सभी भाषाओं की मां है।संस्कृत के अन्दर छिपी अमृत ज्ञान तत्वों के आधार पर हम दुनियां मे स्थापित होके विश्व गुरु बन सके थे।
आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति मे भी संस्कृत को ही आधार बनाकर विश्व मे स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त किया गया है।यह भाषा मानवता और प्रकृति के साथ जोड़ने का अनूठा मार्ग है।इसलिये विभिन्न आधार बनाकर संस्कृत कर ज्ञान परंपरा को जनहित में जागरूक करने की कोशिश की जानी चाहिए।
कुलपति प्रो त्यागी ने बताया कि इस संस्था मे जब कुलपति के रूप में योगदान दे रहा था उस समय ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित हो रहा था तब यह एक बीज रोपित था किंतु आज यह विशाल वृक्ष के रूप स्थापित होकर सम्पूर्ण देश मे अपने विभिन्न पाठयक्रमों के माध्यम से अनेक पीढियों को लाभान्वित कर रहे हैं।संस्कृत के अन्दर निहित ज्ञान तत्वों को विदेशों तक पहुंचाने के लिए हम अनेक भाषाओं को सीखकर इसके मर्म को स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए।तभी संस्कृत भाषा और उसमे निहित अमृत ज्ञान का विकास होगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो• बिहारी लाल शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि काशी समर्पण की धरती है, काशी ज्ञान की राजधानी है, ज्ञान का संवर्धन- पोषण इस संस्था के द्वारा किया जा रहा है। यह संस्था ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी का प्रांगण है जो कि हमारे तपस्वी मनस्वी आचार्यों की साधना से ही सम्पूर्ण देश को संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार के प्रकाश से प्रकाशित कर रही है।हमारी साँस्कृतिक परंपराओं एवं भारतीय ज्ञान परम्परा की रक्षा इसी विश्वविद्यालय से पोषित है।
काशी से जो आवाज निकलती है वह देश की आवाज होती है।आज यहाँ ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण के माध्यम से जुड़कर देश के कोने-कोने से विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश लेकर डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, उन सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई,ज्ञात हुआ है कि विदेशों से भी लोग इस पाठ्यक्रम में जुड़ रहे हैं, आज आभासी माध्यम से अध्ययन के मार्ग वृहद् रूप में खुल रहे हैं।आज मन्दिर प्रबंधन के पाठ्यक्रम संचालित करने वाला यह देश का पहला विश्वविद्यालय है।
अतिथियों के द्वारा संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के अन्तर्गत विभिन्न विषयों मे क्रमशः ज्योतिष कुंडली विज्ञान,वस्तु विज्ञान,वेद, कर्मकांड, अर्चक,योग, दर्शन, वेदांत,पाली, प्राकृत,भाषा शिक्षण एवं व्याकरण,मन्दिर प्रबंधन आदि में एक वर्षीय डिप्लोमा, छह मासिक, त्रैमासिक पाठ्यक्रमों में 40 विद्यार्थियों को उपाधि वितरित किया गया।
जिसमें शशीन्द्र मिश्र, मुकुल चौधरी, पवन कुमार शर्मा, कृष्ण मणि उपाध्याय शेफाली, वृज वीर, उमा पाध्याय प्रधान पाध्याय आदि ने उपाधि प्राप्त कर आनंद उत्साह से व्यक्त किया कि आभासी माध्यम से सहजता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर इस तरह विभिन्न ज्ञान समूहों से समाज को जोड़ने का प्रयास करेंगे।जिन पाठयक्रमों का अध्ययन किया गया है उसकी उपयोगिता समाज हित में करने का प्रयास होगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के अन्तर्गत विभिन्न विद्वानों ने पारम्परिक विषयों के अध्ययन में ऑनलाइन प्रशिक्षण की उपादेयता: NEP 2020 के परिप्रेक्ष्य में अपने विचार उद्घाटन सत्र सहित कुल चार सत्रों में व्यक्त किया।
केन्द्र के निदेशक प्रो रमेश प्रसाद ने सम्पूर्ण विषयों पर विस्तार से जानकारी दी।
वैदिक मंगलाचरण डॉ विजय कुमार शर्मा, पौराणिक नीतीश ठाकुर।मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन किया गया।
मंच पर आसीन अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन माल्यार्पण एवं अंग वस्त्र ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह देकर किया गया।
केंद्र के उपनिदेशक डॉ मधुसूदन मिश्र ने किया।
प्रो. विष्णुपद महापात्र, आचार्य, न्याय वैशेषिक विभाग, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने कहा कि पाठशाला में निहित पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन शामिल किया जाए, विभिन्न ग्रंथों के.मौलिक ग्रंथों का उपयोग ऑनलाइन माध्यमों से होना चाहिए।
उ.प्र. शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सत्र 2023-24 में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई, जिसका लोकापर्ण दिनांक 23-03-2023 को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय कुलाधिपति महोदय श्रीमती आनन्दी बेन पटेल एवं उच्च शिक्षामंत्री उत्तर प्रदेश शासन श्रीमान योगेंद्र उपाध्याय जी के करकमलों द्वारा हुआ। उक्त केंद्र के द्वारा ज्योतिष, वास्तु, कर्मकाण्ड, वेद, अर्चक, संस्कृत भाषा, पालि, योग, वेदान्त आदि विषयों के त्रैमासिक , षाण्मासिक एवं वार्षिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे है जिसमें प्रवेश से परीक्षा तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन संपादित की जाती है।इसमें त्रैमासिक 03 बैच , षाण्मासिक 02 बैच एवं वार्षिक डिप्लोमा 01 बैच की उपाधि आज दी जा रही है।
कुलसचिव राकेश कुमार,प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो विष्णु जी महापात्र, विमलेद्र ,प्रो हरिशंकर पाण्डेय,प्रो विजय कुमार पाण्डेय, प्रो विधु द्विवेदी, डॉ पद्माकर मिश्र, प्रो महेन्द्र पाण्डेय, प्रो दिनेश कुमार गर्ग,प्रो विद्या कुमारी, डॉ रविशंकर पाण्डेय।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के अन्तर्गत विभिन्न विद्वानों ने पारम्परिक विषयों के अध्ययन में ऑनलाइन प्रशिक्षण की उपादेयता: NEP 2020 के परिप्रेक्ष्य में अपने विचार उद्घाटन सत्र सहित कुल चार सत्रों में व्यक्त किया।
व्दितीय सत्र योग साधना केन्द्र
सत्राध्यक्ष – प्रो. हीरककान्ति चक्रवर्ती, आचार्य आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय, सं. सं. वि. वि., वाराणसी।सारस्वतातिथि प्रो शैलेश मिश्र, आचार्य सामाजिक विज्ञान विभाग, सं. सं. वि. वि., वाराणसी
मुख्यवक्ता डॉ. अरूण कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
-डॉ. योगेश भट्ट, योग प्रशिक्षक मालवीय भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी , डॉ. नवनीत शर्मा, सहायक आचार्य ज्योतिष विभाग, श्री लक्ष्मी देवी शर्राफ आदर्श संस्कृत महा विद्यालय, देवघर, बिहार
वक्ता-डॉ. राजा पाठक, सहायक आचार्य, IUCTE, BHU
संचालन- श्री नितिन आर्य, सहायक आचार्य व्याकरण विभाग, सं. सं. वि. वि.,वाराणसी
सम्पूर्ति सत्र मुख्यवक्ता-प्रो. सुधाकर मिश्र परीक्षा नियंत्रक, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।
विशिष्टातिथि – प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, अध्यक्ष, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
सारस्वतातिथि प्रो. रामराज उपाध्याय, आचार्य, पौरोहित्य विभाग, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश नई दिल्ली।
सारस्वतातिथि – प्रो. रामनक्षत्र प्रसाद पूर्व कार्यकारी कुलपति एवं आचार्य नवनालन्दा महाविहार, नालन्दासंयोजक प्रो. रमेश प्रसाद, निदेशक, ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्रसंचालनडॉ. मधुसूदन मिश्र, उपनिदेशक, ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र ने किया।