रिपोर्ट अनुपम भट्टाचार्य 

 

वाराणसी।एक नूर है सबके अन्दर नर है चाहे नारी है।सबमें एक ही परमात्मा का निवास है।आत्मा ही परमात्मा है।हमें आत्मिक स्तर पर सबसे प्यार करना है सबका सत्कार करना है।यही निरंकारी मिशन का रूहानियत का सन्देश है।

उक्त उद्गार रविवार को मलदहिया स्थित निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित एक विशेष विशाल ज़ोन स्तरीय निरंकारी महिला सन्त समागम को सम्बोधित करते हुए दिल्ली से पधारी केन्द्रीय निरंकारी ज्ञान प्रचारिका श्रीमती डॉ. प्रवीण खुल्लर ने व्यक्त किया।

श्रीमती डॉ. खुल्लर जी ने कहा कि यहां हज़ारों की संख्या में हम सब बैठे हैं ये हज़ारों शरीरें हैं मगर इनमें हज़ारों आत्माएं नहीं हैं सबमें एक ही आत्मा है।क्योंकि आत्मा ही परमात्मा है और परमात्मा एक ही है।जैसे अनेकों कन्टेनरों में समुद्र का एक ही पानी भरा हो तो वो समुद्र का पानी सभी कन्टेनरों में एक ही होता है उसी तरह आत्मा या परमात्मा एक ही सत्ता का नाम है ।हमें द्वैत भाव में नहीं पड़ना है।हरगिज़ भ्रमित नहीं होना है।सबमें एक ही नूर देखकर एकत्व के सूत्र में बंधे रहना है।

डॉ.खुल्लर ने आगे कहा कि महिलाएं तप-त्याग की मूर्ति होती हैं।भले वो रिश्ते में मां, बहन, बेटी, देवरानी या जेठानी आदि हों पर निरंकारी परिवार में तो इनका रिश्ता सद्गुरु के गुरसिख का होता है।

डॉ.खुल्लर ने अन्त में कहा कि चिन्ता चिता समान होता है।हमें चिन्ता से दूर रहकर सभी आश्रमों के सरताज गृहस्थ आश्रम की सभी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए घर को गुरमत के माध्यम से स्वर्ग बनाना है।केवल ज्ञान लेने से मुक्ति नहीं होती बल्कि ज्ञान को जीवन मे धारण करने से जीते जी मोक्ष होता है। जहां मैं व मेरा है वहां क्लेश होता है जहां तूँ व तेरा का भाव होता है वहीं जन्नत है स्वर्ग है।स्वयं की अनुभूति ही ज्ञान है और यह ज्ञान किसी भेदी (सतगुरु)द्वारा ही प्राप्त होता है।

इस अवसर पर सन्त निरंकारी मण्डल के वाराणसी ज़ोन के जिलोंवाराणसी,चंदौली,गाजीपुर,मिर्ज़ापुर व सोनभद्र से हज़ारों की संख्या में निरंकारी भक्त महिलाएं शामिल रही ।

कार्यक्रम संचालन,वाद्य यंत्र बजाने से लेकर गीत,विचार व कविताओं की प्रस्तुतिकरण भी नारी शक्ति ने ही किया। भक्त महिलाओं की भारी संख्या को देखते हुए कई स्क्रीन डिस्प्ले भी लगाए गए भक्तिमय वातावरण के साथ यह समागम हर्सोल्लास सम्पन्न हुआ।

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