कृषि सुधार के लिए नवाचारी प्रजनन के लिए” 7-दिन कार्यक्रम आयोजित

 

वाराणसी। आईआरआई-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र ने “कृषि सुधार के लिए नवाचारी प्रजनन के लिए” 7-दिन कार्यक्रम मंगलवार को आयोजित किया। कृषि अनुसंधान को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईआरआरआई-सार्क) ने, निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह और दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रजनन प्रमुख-डॉ. विकास कुमार सिंह के नेतृत्व में हाल ही में “फसल सुधार के लिए अभिनव प्रजनन” पर एक व्यापक 7-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी; रानी लक्ष्मी बाई कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी; सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय, इलाहाबाद और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर जैसे संस्थानों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 छात्रों ने सक्रिय भागीदारी की। इस ट्रेनिंग में भाग लेने वाले प्रतिभागी स्नातक और शोध (जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग) के छात्र थे जो देश के विभिन्न हिस्सों से आये थे।

आईआरआरआई-सार्क ब्रीडिंग के वैज्ञानिक डॉ उमा महेश्वर ने बताया की इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य आगामी कृषि वैज्ञानिकों को नवीनतम ज्ञान और नवाचारी प्रजनन तकनीकों के अनुभव से प्रशिक्षित करना था ताकि वे बदलते वैश्विक चुनौतियों के सामना करते हुए फसल की उत्पादकता और सहिष्णुता में सुधार कर सकें और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पौश्टिकता को सुनिचित कर सकें I इस प्रोग्राम में अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस, वाराणसी, हैदराबाद एवं बीएचयू के वैज्ञानिकों ने पूरे सप्ताह भर विभिन्न नयी तकनिकी के ऊपर व्याख्यान और हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण सत्रों को संचालित करने में सहायक रूप से योगदान किया। विविध पाठ्यक्रम ने प्रजनन विधियों, जेनोमिक विश्लेषण, स्पीड ब्रीडिंग, सिक्वेंसिंग बेस्ड ट्रेट मैपिंग, और जेनोमिक सलेक्शन सहित कई विषयों को कवर किया, जिससे प्रतिभागियों को आधुनिक प्रजनन तकनीकों के पूरी पर्किर्या की समझ मिली।आईआरआरआई-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने कार्यक्रम की सफलता और इसके क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान पर संभावित प्रभाव के बारे में अपने उत्साह को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “7-दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम एक सहयोगी प्रयास रहा है ताकि सिद्धांतिक ज्ञान और कृषि सुधार में व्यावसायिक कौशल के बीच की गई खाई को पूरा किया जा सके। अग्रणी कृषि संस्थानों के छात्रों और आईआरआरआई के विशेषज्ञों को एकत्र करके, हम नवाचार और फसल सुधार से सम्बंधित नए टेक्नोलॉजी की मदद से बदलते परिदृस्य में अधिक उत्पादन का लक्ष्य रखते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ बी. डी. सिंह, पूर्व प्रोफेसर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने इस प्रकार की सहयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, नवाचारी ब्रीडिंग तकनीकें कृषि में हो रही चुनौतियों, जैसे की जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा तक, के साथ निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल ज्ञान प्रदान करता है बल्कि प्रतिभागियों में सहयोग और अनुसंधान की भावना को बढ़ावा देता है।

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