वाराणसी। परिवार कल्याण कार्यक्रम के सेवाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए लाभार्थियों को बेहतर काउंसलिंग (परामर्श) की आवश्यकता है। काउंसलिंग बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जो परिवार कल्याण कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाता है। लाभार्थी के साथ एकांत जगह पर गोपनियता के साथ सरल, स्पष्ट व स्थानीय भाषा में चर्चा करें। लाभार्थी के पूर्व के इतिहास को जानते हुये उसकी पूरी समस्याएं सुनें और उचित परामर्श दें। इसके बाद उसकी इच्छानुसार परिवार नियोजन की बास्केट ऑफ च्वाइस से साधन उपलब्ध कराएं।

यह बातें वाराणसी मण्डल की अपर निदेशक (चिकित्सा व स्वास्थ्य) डॉ मंजुला सिंह ने कहीं। वह पाण्डेयपुर स्थित मंडलीय अपर निदेशक कार्यालय सभागार में बुधवार को आयोजित मण्डल स्तरीय परिवार नियोजन काउंसलर (परामर्शदाता) की एक दिवसीय ओरिएंटेशन (अभिमुखीकरण) कार्यशाला में कह रही थीं। उन्होंने कहा कि वाराणसी मण्डल के विभिन्न सरकारी चिकित्सालयों तथा प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन काउंसलर तैनात हैं। इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वह लाभार्थियों को बेहतर सेवाएँ दे सकें। साथ ही एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन बास्केट ऑफ च्वाइस के सभी साधनों जैसे महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी, अंतरा तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन, छाया साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली, आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली, कंडोम आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करा सकें। डॉ मंजुला ने कहा कि जमीनी स्तर पर लाभार्थियों को सेवाएं प्रदान कराने में आशा कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। हर माह की आशा कलस्टर मीटिंग में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दें। चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों में बेहतर सेवाएँ प्रदान करना सुनिश्चित करें। सभी सीएचसी-पीएचसी पर परिवार नियोजन कॉर्नर बनाते हुये लाभार्थियों को परिवार नियोजन की बास्केट ऑफ च्वाइस के लिए सेवाएँ उपलब्ध कराएं। सभी परिवार नियोजन काउंसलर का ओब्जेक्टिव स्ट्रक्चर काउंसलिंग एग्जामिनेशन (ओएससीई) का प्रदर्शन 90 फीसदी के आसपास होना चाहिए, इससे ज्ञात होगा कि काउंसलर लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करा रहा है। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई से शुरू होने वाले जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दूसरे चरण सेवा प्रदायगी पखवाड़ा में सभी काउंसलर व आशा कार्यकर्ताएं ज्यादा से ज्यादा महिला व पुरुष नसबंदी सहित अन्य अस्थायी साधनों की सेवाएं प्रदान कराएं। ओरिएंटेशन में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के राज्य स्तरीय प्रशिक्षकों ने सभी काउंसलर को परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान कराने के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने परामर्श क्या है, के बारे में विस्तार से बताया कि यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें परामर्शदाता लाभार्थी के साथ मिलकर उसकी समस्याओं को हल करने में उनकी मदद करती हैं। आपसी बातचीत के कौशल का प्रयोग का लाभार्थी के साथ सरल व स्थानीय भाषा में विस्तार से चर्चा करें। लाभार्थी की समस्याओं पर समानुभूति नहीं बल्कि सहानुभूति के साथ बातचीत करें। बातों की गोपनियता जरूर रखें। समस्याओं और भ्रांतियों को दूर करते हुये उनका व्यवहार परिवर्तन करें। इसके अलावा बेसिक काउंसलिंग स्ट्रेटजी (बीसीएस) टूलकिट और ओब्जेक्टिव स्ट्रक्चर काउंसलिंग एग्जामिनेशन (ओएससीई) के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही काउंसलिंग रजिस्टर, कार्ड, चेकलिस्ट आदि एक बारे में विस्तार से चर्चा की।इस दौरान मण्डल के सभी जनपदों के कुल 16 परिवार नियोजन काउंसलर को प्रशिक्षित किया गया और उनकी सवालों और शंकाओं को दूर किया गया। इस मौके पर यूपीटीएसयू से वाराणसी, जौनपुर और गाज़ीपुर के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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