
मुंशी प्रेमचंद की 88 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा
वाराणसी। प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र लमही की ओर से उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 88 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। प्रेमचंद मित्रों ने प्रेमचंद की प्रतिमा को नहलाया,साफ- सफाई की। सहित्यकारों व प्रेमचंद मित्रों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रो श्रद्धानन्द ने कहा कि प्रेमचंद आम आदमी के चितेरे थे। उनकी रचनाओं में आम आदमी की भाषा है। प्रेमचंद ने निम्न और मध्य वर्ग के यथार्थ को अपने साहित्य का हिस्सा बनाया। जो उन्होंने लिखा उसे जीया भी। अगर उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया तो खुद भी विधवा विवाह किया। प्रेमचंद का साहित्य ऐसा यथार्थ है, जिससे लोगों को वितृष्णा नहीं होती।
साहित्यकार डा. रामसुधार सिंह ने कहा कि प्रेमचंद आम आदमी तक अपने विचार पहुंचा कर उनकी सेवा करना चाहते थे। इसी मंशा से उन्होंने 1934 में अजंता सिनेटोन नामक फिल्म कंपनी से समझौता कर फिल्म संसार में प्रवेश किया। वे मुंबई पहुंचे और ‘शेर दिल औरत’ और ‘मिल मजदूर’ नामक दो कहानियां लिखीं। ‘सेवा सदन’ को भी पर्दे पर दिखाया गया। लेकिन प्रेमचंद मूलतः निष्कपट व्यक्ति थे। फिल्म निर्माताओं का मुख्य उद्देश्य जनता का पैसा लूटना था। उनका यह ध्येय नहीं था कि वे जनजीवन में परिवर्तन करें। राजीव गोंड ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद की लेखनी आज भी उतनी ही सहज-सुगम और प्रासंगिक है। इस अवसर पर राजीव श्रीवास्तव, प्रकाश श्रीवास्तव, मुन्ना लाल, सुरेश चंद्र दूबे, रोहित गुप्ता, राहुल यादव, राज वैभव,आयुषी आदि थे।
