वाराणसी। चरथ भिक्खवे यात्रा जो 15 अक्टूबर दिन मंगलवार को शुभारंभ सुबह नौ बजे सारनाथ स्थित तिब्बती संस्थान से होगा। जिसमें वाराणसी से साहित्यकार डा.रामसुधार सिंह,सदानंद शाही और प्रकाश उदय शामिल होंगे।

साहित्यकार डॉ राम सुधार सिंह और सदानंद शाही ने बताया कि यह यात्रा सारनाथ से आरम्भ होगी, तथा बोध गया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुम्बिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, कौशाम्बी से होते हुए 28 अक्टूबर को पुनः सारनाथ पर खत्म होगी। एक विशिष्ट साहित्यिक और सांस्कृतिक यात्रा है। जो भारत और नेपाल के पवित्र बौद्ध परिपथ पर आधारित है। बुद्ध का सार्वभौमिक धर्म इसी हिंदी अंचल से उत्पन्न हुआ था। जहाँ उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के बाद आधी शताब्दी तक विचरण किया। यह यात्रा उन रास्तों का अनुसरण करेगी। जिन पर भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों के माध्यम से करुणा, शांति, प्रेम और विश्वबंधुत्व का संदेश दिया था। बुद्ध का उपदेश कि “वैर से वैर का शमन नहीं होता, अवैर से वैर का शमन होता है”, इस यात्रा का मुख्य आधार है।

*यात्रा का उद्देश्य* – इस यात्रा का नाम और प्रेरणा भगवान बुद्ध के शाश्वत संदेश से ली गई है: “चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय…” “भिक्षुओ, बहुजन के हित और सुख के लिए भ्रमण करो”। बुद्ध का यह आह्वान ज्ञान, करुणा और संवाद के प्रसार का प्रतीक है। इस यात्रा का उद्देश्य प्रतिभागियों को बुद्ध की गहन शिक्षाओं से जोड़ना है, जिससे वे अहिंसा, प्रेम, और सहानुभूति के सिद्धांतों को आत्मसात कर सकें। यह यात्रा एक सचल कार्यशाला के रूप में भी कार्य करेगी। जिसमें कवि, लेखक, कलाकार और विद्वान विभिन्न स्थलों पर संगोष्ठियों में भाग लेंगे। जिससे सांस्कृतिक संवाद और विचार-विमर्श को प्रोत्साहन मिलेगा।

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