वाराणसी । डीएवी पीजी कॉलेज के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को मुंशी प्रेमचंद की 143 वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश कुमार राम ने कहा कि प्रेमचंद दलित विमर्श से इतर सामाजिक सरोकार से जुड़े बड़े साहित्यकार रहे है। प्रेमचंद यह बखूबी सिखलाते है कि अधिकार बिना संघर्ष हासिल नही हो सकता है। उन्होंने कहा कि साहित्य में जो पक्ष काफी समय से उपेक्षित रहा उसे सामाजिक फलक पर लाने का श्रेय प्रेमचंद को जाता है। उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. हबीबुल्ला ने कहा कि नवाब राय से मुंशी प्रेमचंद का सफर उन्होंने बिना डरे अडिग रूप से पूरा किया। वे शेक्सपियर की तरह समाज की नब्ज टटोलने वाले साहित्यकार थे। विशिष्ट वक्ता डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि प्रेमचंद मूल्य आधारित साहित्य के पोषक है, उनके लेखन में परम्परा और आधुनिकता दोनों का समन्वय दिखता है। समाज आधारित यथार्थ का चित्रण करने वाले साहित्यकार प्रेमचंद हर उस विषय को राष्ट्रीय फलक पर लाने का प्रयास करते है जो आज भी प्रासंगिक है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. अस्मिता तिवारी, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विश्वमौली ने दिया। कार्यक्रम में डॉ. नीलम सिंह, डॉ. नाहिद फातिमा ने भी प्रेमचंद के साहित्य में समाज में व्याप्त अमानवीय व्यवहार पर प्रकाश डाला।

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