खुशीमठ।परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती’ जी १००८’सोमवार शाम यमुनोत्री धाम खुशीमठ खराबी पहुंचे,जहां यमुनोत्री पीठ पंडित व खुशी मठ के लोगों ने भव्य स्वागत किया।महाराज श्री ने रात्रि विश्राम किया ।
धर्म सभा में गौ कृपा कांक्षी गोपाल मणि जी महाराज ने संबोधित किया। इसके बाद यमुना आरती हुई।
परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी का राना चट्टी में यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित व पीठ पंडित ज्योति प्रसाद,अभिषेक व अनिरुद्ध रावल तथा समस्त ग्राम वासियों की ओर से भव्य स्वागत किया गया।
महाराज श्री पीठ पंडित जी के घर पहुंचे,जहां पादुका पूजन के बाद तीर्थ पुरोहित पंडित ज्योति प्रसाद जी ने रुद्राक्ष माला, स्फटिक की माला और अत्यंत दुर्लभ 11 मुखी रुद्राक्ष भेंट किया।
इस मौके पर तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि आपकी इस शीतकालीन चार धाम की यात्रा की पहल से पूरे क्षेत्र के लोग काफी उत्साहित हैं।
लोगों को रोजगार मिलेगा। गुरुदेव के स्वागत में महिलाओं व छोटी बच्चियों ने बहुत ही सुंदर गढ़वाली नृत्य पेश किये।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः जी महाराज दोपहर में शीतकालीन चारधाम यात्रा पर यमुनोत्री धाम के मुख्य पड़ाव बड़कोट पहुंचे।बड़कोट में यमुनोत्री प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकार को समुदाय विशेष की घनीभूत बस्तियों के बसावट को रोकने के लिए क़ानून बनाना चाहिए,जिससे देवभूमि की डेमोग्राफी परिवर्तित न हो।शंकराचार्य जी ने कहा कि
उत्तराखंड चारधाम शीतकालीन यात्रा का फल ग्रीष्मकालीन यात्रा के फल से कई गुना अधिक है।
उत्तराखंड चारधाम यात्रा वर्षभर चलती है, यहां धामों में कभी पूजा बंद नहीं होती है। चारधाम के पट बंद होने का मतलब यात्रा का बंद होना नहीं है, भगवान की पूजा बारह महीने होती है, छह माह ग्रीष्म कालीन स्थलों पर तो छह माह शीतकालीन गद्दी स्थलों पर।लोगों में भ्रम की स्थिति हो जाती है की चार धाम के कपाट बंद होने पर यात्रा बंद हो जाती है।जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति व उन्नति से जुड़ी हुई है उन्होंने कहा कि हमारी बातों को अन्यथा लिया जाता है।बोलने व समझने में बहुत बड़ा अंतर होता है।शंकराचार्य जी ने चिपको आंदोलन की यादों को ताज़ा करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। 2008 में गंगा आंदोलन के बारे में कहा कि हमने गंगा की धारा को अविरल बनाने के लिए आंदोलन चलाया, लेकिन लोगों ने उसका महत्व नहीं समझा और हम पर विकास विरोधी ठप्पा लगा दिया।
इससे पूर्व यमुनोत्री प्रेस क्लब क्लब बड़कोट के सदस्यों,व स्थानीय लोगों ने ज्योतिष पीठाधिश्वर जगत गुरु शंकराचार्य जी का यमुना घाटी बड़कोट आगमन पर ढ़ोल बाजों, फूल मालाओं से स्वागत अभिनंदन किया। इस दौरान कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गंगनानी की छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत व नृत्य की प्रस्तुति देकर शंकराचार्य जी का स्वागत किया। गौ कथा वाचक गोपाल मणि जी महाराज, गोपाल जी,मुकुंदानंद जी,उमेश सती जी,अनिरुद्ध उनियाल जी,उपजिलाधिकारी बृजेश तिवारी जी,नायब तहसीलदार खजान असवाल जी,थानाध्यक्ष दीपक कठेत जी,बृजेश सती जी,नरोतम पारीक जी,रमेश रावत जी,संजय अग्रवाल जी,सुनील थपलियाल जी,विजेंद्र रावत जी,दिनेश रावत जी, ओंकार बहुगुणा जी,भगवती रतुड़ी जी, नितिन चौहान जी, जयप्रकाश बहुगुणा जी, उपेंद्र असवाल जी,मदन पैन्यूली जी,संजय जी सहित विभिन्न प्रांतों से आये श्रद्धालु उपस्थित रहे।साथ ही यमुनोत्री प्रेस क्लब अध्यक्ष सुनील थपलियाल, सरंक्षक दिनेश रावत,उपाध्यक्ष जयप्रकाश बहुगुणा, कोषाध्यक्ष नितिन चौहान,अनुशासन समिति के भगवती रतुड़ी, उपेंद्र असवाल,संरक्षक ओंकार बहुगुणा,मदन पैन्यूली,संजय आदि पत्रकार मौजूद रहे।