वाराणसी ।दक्षिणी विधायक व पूर्व मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरुवार को गुरू बाणी व संकीर्तन में नीचीबाग गुरूद्वारा में भागीदारी करते हुए मत्था टेका।इस अवसर पर डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोविंद सिंह की चार बेटे थे। उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था। गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की। इसकी स्थापना सिखों को उनके धर्म के आधार पर भेदभाव की समाप्ति के उद्देश्य से की गई थी। गुरु गोविंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे थे “अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह” जो सभी खालसा का हिस्सा थे उन चारों को 19 साल की उम्र से पहले ही मुग़ल सेना ने मार डाला था।

साहिबज़ादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह सिख धर्म के दो सबसे प्रसिद्ध शहीद हैं। औरंगजेब के निर्देश पर सन 1704 में मुगल सेना ने आनंदपुर साहिब को घेर लिया। इस घटना में गुरु गोविंद सिंह के दो पुत्रों को कैद कर लिया गया और उनके सामने यह शर्त रखी गई कि यदि वे इस्लाम कबूल कर लेते हैं तो उन्हें नहीं मारा जाएगा। धर्मांतरण के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद दोनों साहबजादों को मौत की सजा दी गई और ईंट की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। इन दोनों शहीदों ने धर्मांतरण की बजाय मौत को गले लगा लिया।

उन शहादत वीर शहजादों के लिए विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश के प्रति उनकी कुर्बानी को दुखद बताया जो आने वाले समय में इन वीर सहजादों के लिए हम सभी लोग 26 जनवरी को प्रधानमंत्री जी के द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसलों का निर्वहन करते हुए इसे मनाया जाएगा और देश हमेशा इन्हें याद रखेगा।इस दौरान मुख्य रूप से महानगर वरिष्ठ उपाध्यक्ष आत्मा विश्वेश्वर, नलिन नयन मिश्र, गोपाल जी गुप्ता, पार्षद कनक लता मिश्रा, संजय केशरी, पार्षद अमरेश गुप्ता, मीडिया प्रभारी किशोर सेठ, विभूति मिश्रा, विष्णु यादव, राजीव सिंह डब्बू, बबलू सेठ, गुप्तेश्वर नाथ सेठ सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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