वाराणसी। मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आवाहन पर बिजली के निजीकरण के विरोध में आज बनारस के सभी विधुत उपकेंद्रों आदि पर काली पट्टी बांधने का अभियान जारी रहा यह कार्यक्रम पूरे सप्ताह जारी रहेगा।
15 जनवरी को भी पूरे दिन बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर काम करने और भोजनावकाश या कार्यालय समय के उपरान्त सभी जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं करने का निर्णय लिया गया है जिसके तारतम्य में बनारस में भी कल भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मन्दिर पर शाम-5 बजे से विरोध सभा होगी जिसमें बनारस के तमाम कर्मचारी और अभियंता उपस्थित होकर निजीकरण के विरोध में अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज जारी बयान में कहा कि बिजली का निजीकरण कतई बर्दाश्त नही होगा क्योंकि ये बार-बार ऊर्जा प्रबन्धन समझौता करने के बाद मुकर जाता है और बिजली कर्मियो के साथ आम जनमानस के साथ भी छलावा कर रहे है ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पूरे प्रदेश के करोड़ो उपभोक्ताओं के लगभग 2000 करोड़ से ज्यादा पैसा सेक्युरिटी के रूप में जमा है जबकि अकेले पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के पास लगभग 500 करोड़ से ज्यादा पैसा सेक्यूरिटी के रूप में जमा है और लाखों करोड़ों का विधुत उपकेंद्रों की जमीन, मशीनरी,कार्यालय, लाइन आदि का एसेट है साथ ही लगभग 40हजार करोड़ रुपये का उपभोक्तओं पर बकाया है जो आगरा की टोरेंट पावर की तरह वसूलकर अपना जेब गर्म करेंगी ये निजी कम्पनिया जिसको प्रदेश का हर एक व्यक्ति जानता है लेकिन पता नही ऊर्जा प्रबन्धन इसे क्यों नही जानता ये बड़े आश्चर्य की बात है और इन सबको देखते हुये भी ये ऊर्जा प्रबन्धन 1 रुपये के लीज यानी कौड़ियों के भाव इसको बेचने पर आमादा है जो इस पूरे प्रदेश की जनता के साथ धोखा है क्योंकि ये निजीकरण हेतु पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा जारी बिडर के चयन के आर एफ पी डॉक्यूमेंट को पढ़ने पर साफ हो गया जाता है की बिजली के निजीकरण को लेकर बड़े घोटाले की तैयारी है। उन्होंने कहा कि निजीकरण हेतु समय सीमा पर बहुत स्ट्रिक्ट रहने की बात बार बार लिखी गई है जिससे यह स्पष्ट है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन का उद्देश्य सुधार नहीं अपितु कैसे भी जल्दी से जल्दी निजीकरण करना है। बिजली व्यवस्था में सुधार का पूरे आर एफ पी डॉक्यूमेंट में एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया है।