
विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय योगदान के लिए रमाशंकर,नवीन प्रधान हुए सम्मानित
वाराणसी। भगवान श्रीराम ने शबरी माता के जूठे बेर खाकर, कोलभील से मित्रता कर एवं भगवान श्रीकृष्ण ने विदुर के घर साग और रोटी खाकर सामाजिक समरसता का अनूठा और अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया था। यह बातें अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष जीत सिंह खरवार ने सामाजिक संस्था प्रबुद्धजन काशी न्यास समिति द्वारा आयोजित सनातन संस्कृति में सामाजिक समरसता विषयक संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में आदिकाल से सामाजिक समरसता एवं सद्भाव परिलक्षित होता रहा है। वसुधैव कुटुंबकम हमारी विरासत है। प्रयागराज का महाकुंभ सामाजिक समरसता का सबसे सुंदर और प्रत्यक्ष उदाहरण है। करोड़ों लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ संगम में डुबकी लगा रहे हैं। मुख्य वक्ता के तौर पर श्रवण सिंह गौर ने कहा कि सर्वे भवंतु सुखिनः सनातन संस्कृति की मूल भावना है, संगठन में शक्ति है एकता में बल है। हम सभी को यह बातें स्मरण रहनी चाहिए। देश विरोधी ताकते समाज को बांटने का कुछ चक्र रच रही है जिससे हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। अध्यक्षता देव कुमार राजू ने किया। इस अवसर पर समाज में सेवा का विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करने वाले शिक्षक रमाशंकर तिवारी, पत्रकार नवीन प्रधान, चिकित्सक भवानी शंकर, सतीश तिवारी एडवोकेट, बॉक्सिंग कोच गोपाल बहादुर शाही, शशिकला गुप्ता, समाजसेवी तेज बहादुर मौर्य, वीरेंद्र सोनकर, चार्टर्ड अकाउंटेंट चंदन चौबे, गुरु प्रसाद को “प्रबुद्ध श्री सम्मान” से सम्मानित किया गया। संचालन डॉ. संजय सिंह गौतम एवं धन्यवाद ज्ञापन लोकपति सिंह ने किया। इस अवसर पर नंदलाल यादव, सर्वजीत शाही, किशोर कपूर, रितेश श्रीवास्तव, ठाकुर कुश प्रताप सिंह, डॉ सत्येंद्र मिश्र, महेश्वर सिंह, विनय शंकर राय मुन्ना, सुरेंद्र पटेल, जितेंद्र सिंह, राजीव सिंह, अरुण कुमार सिंह, सत्येंद्र सिंह, रामटहल मौर्य, दिनेश सिंह आदि थे।
