
वाराणसी। अस्सी स्थित सुबह ए बनारस मंच पर विश्व वैदिक सनातन न्यास ने परंपरागत आध्यात्मिक फूलों की होली संत व महात्माओं व दंडी संतों की उपस्थित में भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
आयोजन में सैकड़ों की संख्या मे जहां संतों ने हिस्सा लिया वही गृहस्थ व आमजनों युवा युवतियों ने भी सनातन तरीके से खेली जा रही फूलों की होली में शामिल रहे।
होली में उपस्थित संतों एवं महात्माओं ने श्मशान में खेली जाने वाली चिता भष्म होली को मोक्ष नगरी काशी का अपमान का नाम दिया।
कहा कि श्मशान में चिताभष्म उपयोग करने का अधिकार केवल महाकाल को है क्योंकि वो अजन्मा है अवघड़दानी हैं। न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि काशी की परंपरागत आध्यात्मिक फूलों की होली की शुरुआत संत महात्मा करते हैं इसके बाद ही गृहस्थ और आमजन होली खेलते हैं। मसाने की होली के नाम पर श्मशान में हुड़दंग मचाने वाले आयोजक इस बार परेशान दिखे हैं कि उनकी धर्म व संस्कृति के साथ खिलवाड़ को काशी की जनता ने सिरे से खारिज कर दिया है प्रशासन भी ऐसे आयोजकों के प्रति गंभीर दिखी है जिससे युवाओं का आना काफी प्रतिबंधित रहा।
न्यास के संगठन महामंत्री व भाजपा के मंडल प्रभारी अश्विनी त्रिपाठी ने कहा काशी वैश्विक सनातन घर्म एवं संस्कृति की राजधानी है जहाँ दुनियाभर से लोग काशी की आस्था मन मे लिए आते हैं और अपने परिजनों के शवदाह करते हैं ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो परंतु इसी काशी में मसाने की होली के नाम पर चिताओं से छेड़छाड़ व नाच गाने के साथ चिताभष्म लपेटना चिता का अपमान है। ऐसे महापाप करने वाले को काशी कभी माफ नहीं करेगी। 
इसी क्रम में संगीतकार पीयूष मिश्रा नें अपनी टीम के साथ परम्परागत फाग गीतों से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।जनसमुदाय भी होली के फाग गीत पर झूमते और गुलाब की पंखुरी से होली खेलते नजर आये। 
उक्त होली में प्रमुख रूप से राजेश्वर शुक्ला, धीरेन्द्र सिंह, अनिल मिश्रा, सत्येन्द्र कुमार, विकास शाह, पंकज अग्रवाल कृष्ण कुमार सबरवाल, राजेंद्र सिंह, संतोष सिंह (हिन्दू महासभा) अजय शास्त्री, ओम जयसवाल सहित सैकड़ों की संख्या संत और महात्मा उपस्थित रहे।
