वाराणसी। बाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड के पहले श्लोक की गूंज होते ही श्री राम पट्टाभिषेक महोत्सव का उत्सव मंडप हनुमत प्रभु की दिव्य आभा से दमक उठा। उधर जब जाप दीर्घा में सुंदरकांड के प्रसंग का परायण प्रारंभ हुआ तो दूसरी ओर यज्ञिकों ने यज्ञ कुंड में राम दूत के नाम से आहुतियां देने का काम शुरू कर दिया।

मां अनुष्ठान के मुख्य आचार्य उलीमीरी शोमा याजुलू ने बताया कि संपूर्ण सुंदरकांड श्री हनुमत प्रभु के शौर्य गाथाओं पर आधारित है। इस अध्याय के एक में नायक हनुमान जी ही है। उन्होंने बताया कि गुरुवार के कर्मकांड में प्रभु हनुमान की हर भूमिका का वर्णन हुआ और यज्ञ कुंड में सभी आहुतियां उन्हीं के नाम समर्पित रही।

आचार्य शोमा याजुलू ने इसी संदर्भ में कपिराज हनुमान की विलक्षण प्रतिभा, शौर्य और तेज को नमन करते हुए कहा की समुद्र लंघन में वायु की गति को भी मात देते हुए बानराधीश जब सीता तक पहुंचाते हैं तो गंभीर भूमिका में आ जाते हैं। वहीं जब वह माता जानकी की चूड़ामणि लेकर रघुनायक के पास पहुंचते हैं तो उनकी भूमिका एक विश्वस्त दूत की हो जाती है। यूं कहे की महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी को ही महिमा मंडित किया है। इस अवसर पर श्रीराम तारक आंध्र आश्रम के प्रबंध न्यासी एवं यज्ञ के मुख्य यजमान बीवी सुंदर शास्त्री ने हनुमत विग्रह की सविधी पूजा अर्चना की और अंजनेय के नाम से आहुतियां हवन कुंड में डाली।

विधि व्यवस्था आश्रम के प्रबंधक बीवी सीताराम ने संभाली।

इसमें मुख्य रूप से सीसीबी सुब्रमण्यम, अन्नदनम चिदम्बर शास्त्री,शेखर द्रविड़, श्रीमती उमा, धरनिजा, रुक्मिणी, डी वेणु गोपाल, एम दक्षिणा मूर्ति, आर जगदीश आदि लोग रहे,

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