वाराणसी।सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग स्थित श्रौतविहार में आचार्य अरुण कुमार पाण्डेय की स्मृति में श्री पद्मवैद्यम वेद विद्यालय गोरखपुर एवं भारतीय ज्ञान परंपरा केन्द्र, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में पौर्णमासेष्टि/ श्रौतगोष्ठी का आयोजन/ उद्घाटन किया गया।

इस कार्यक्रम में वेदों में वर्णित यागविधि का अक्षरशः पालन करते हुए सम्पूर्ण विधि सम्पन्न की गई। वेद विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के प्रथम आहिताग्नि प्रो. भगवत प्रसाद मिश्र जी द्वारा स्थापित यज्ञशाला में अनेक वर्षों के पश्चात यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कला संकाय प्रमुख प्रो. श्री किशोर मिश्र ने बताया कि श्रौत की परंपरा काशी से लुप्तप्राय: हो चुकी थी तब आचार्य भगवत्प्रसाद मिश्र ने काशी के विद्वानों के आग्रह पर इस परम्परा को जीवीत किया। तब से यह परम्परा चलती आ रही है। वे इस परंपरा का संरक्षण किये।

मुख्य अतिथि महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रो. हृदयरंजन शर्मा जी ने यज्ञ महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि श्रौत की परंपरा साक्षात वेद से आई है जो प्राणिमात्र के कल्याण कारक हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा जी ने कहा कि जिस प्रकार से संवत्सरव्यापी चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ के आयोजन से न केवल विश्वविद्यालय अपितु सम्पूर्ण विश्व का विकास हुआ और विश्वविद्यालय ने ख्याति प्राप्त की वैसे ही श्रौत याग से भी विश्व का कल्याण होगा।

हमारे बीच में ऐसे विद्वान आते हैं, खासकर जब नई पीढ़ी को उस ज्ञान को संप्रेषित करने के लिए विद्वानों की आवश्यकता होती है।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भविष्य में इस प्रकार के विद्वान होंगे और निरंतर इन सारी चीजों में ह्रास हो रहा है। ऐसी स्थिति में ऐसे महान विद्वानों की उपस्थिति, उनका मार्गदर्शन और वह भी इस महान विश्वविद्यालय के प्रांगण में, यह अपने आप में अभूतपूर्व संयोग है।हमने एक यज्ञ किया, जिसके संयोजक वेद विभाग से मुख्य रूप से डॉ. विजय शर्मा थे। जब हमने इसे आरंभ किया, तो लोगों ने कहा कि इससे क्या होगा। हमने कहा कि आपका संकल्प शिव संकल्प होना चाहिए। आज दुनिया की जो स्थिति है,चारों तरफ लाखों टन बारूद जल रहा है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी और काशी में स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का दायित्व है कि वह सकारात्मक परिवर्तन के लिए काम करें। आश्वासन दिया कि श्रौत की परंपरा के संरक्षण के लिए जो भी हो सकेगा विश्वविद्यालय पूर्ण सहयोग करेगा।

कार्य्रकम का संचालन करते हुए वेद विभाग के डॉ. विजय कुमार शर्मा ने बताया कि श्रौत व अग्निहोत्रीयों की यह परम्परा विश्वविद्यालय में निरन्तर चल रही है। प्रथम अग्निहोत्री वेद विभाग के आचार्य भगवत्प्रसाद मिश्र जी द्वितीय पञ्चाङ्ग विभाग के आचार्य अरुण कुमार पाण्डेय जी तथा वर्तमान में व्याकरण विभाग के आचार्य ज्ञानेन्द्र सापकोटा जी इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं जो कि विश्वविद्यालय के गौरव को वर्धन करती आ रही है।

इष्टि के यजमानत्व का निर्वहन नेपाल से पधारे सपत्नीक श्री रवि लाल सापकोटा ने किया।

कायर्क्रम में प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी, आचार्य कृष्णानंद उपाध्याय, कार्यक्रम के अतिथियों का स्वागत श्री पद्मवैद्यम वेद विद्यालय के प्रधान अध्यापक श्री प्रेमनारायण त्रिपाठी ने किया। याग की सम्पूर्ण रूपरेखा की प्रस्तुति संयोजक डॉ. ज्ञानेन्द्र सापकोटा ने की। धन्यवाद ज्ञापन वेद विभागाध्यक्ष प्रो.महेन्द्र पाण्डेय ने किया।

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