
वाराणसी। मारवाड़ी सेवा संघ वाराणसी में श्री मानसपीठ मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं श्री मानसपीठ तीर्थ उत्सव सेवा समिति के द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव में मध्यप्रदेश मैहर से पधारे हुए जगद्गुरु स्वामी श्री रामलला चार्य ने कहा कि राम चरित जे सुनत अघाहीं, रस बिसेष जाना तिन्ह नाहीं। यद्यपि राम नाम लेने मात्र से ही मुक्ति हो जाती है, लेकिन जहां रस अथवा भक्ति की बात है वहां तुलसीदास जी की राय कुछ भिन्न है। जिस व्यक्ति को राम कथा सुनने से संतुष्टि मिल जाए-जो तृप्त हो जाए। समझो उसने रस और भक्ति को नहीं समझा। जीवन मुक्त महात्मा भी, जिन्हें कोई बंधन नहीं बांधता, माया नहीं घेरती, वो भी राम कथा सुन कर प्रमुदित होते हैं। नारद जी, व्यास जी, सुखदेव जी आदि आदि यहां तक कि स्वयं शिव जी भी श्री राम कथा का श्रवण और गायन करते हैं। जहां भक्ति की बात है वहां तृप्त होने का भाव तो अमंगलकारी ही समझना चाहिए।
हम सभी निश्चित ही विशिष्ट और पुण्यात्मा हैं, जिन्हें भारत भूमि में जन्म मिला। और बनारस की इस पतित पावन भूमि में, विश्वनाथ बाबा के सान्निध्य के साथ इस पावन कथा के समीप उपस्थित हुए हैं।
कथा के अंत में आरती कर प्रसाद भक्तों वितरण किया गया इस अवसर पर रामस्वरूप पाठक पुरुषोत्तम शर्मा, नंद किशोर बाबू जी, समाजसेवी रामयश मिश्र, राजकुमारी शुक्ला पुष्पा शुक्ल आदि उपस्थित रहे।
