वाराणसी। शिव की नगरी काशी आस्था की नगरी काशी, मंदिरों का शहर काशी नाम आते ही एक आस्था एक आदर व् श्रद्धा मन में आ जाता है। जहां 100 से अधिक घाट और 3500 से अधिक मंदिर,देश विदेश से लाखो की तादात में रोज श्रद्धालु व पर्यटक आते हैं और आस्था के फूल मंदिरो में अर्पित करते हैं।

लेकिन उन फूलो को चढाने के बाद होता क्या है – कभी आपने सोचा है ? नहीं न, चलिए हम आज आपको बताते है कि हमारे चढ़ाये इन फूलो का राज……….. भारत में हर रोज करीब 1000 टन फूल बर्बाद होता है। जो सड़क, गलियो और गंगा में ये फेक दिए जाते हैं फिर ये सड़ते हैं, पैरो से लगते है और फिर ये बदबूदार महक के साथ विषाक्त पदार्थ उत्पादन करते हैं। जो न सिर्फ हमारे वातावरण को दूषित करते है बल्कि हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुचाते है। इस समस्या को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए युवा ग्राम्य विकास समिति द्वारा संचालित रिसर्च और डेवलपमेंट संस्था साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट आगे आया। ऐसे में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से एवं प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र में उनके स्वच्छता अभियान को गति देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर काशी के मंदिरों पर अर्पित फूलो को अब कचरा की तरह न फेका जायेगा न ही नदी में बहाया जायेगा। ये फूल अब रोजगार का जरिया बनेंगे। मंदिर में चढ़ाये गए फूलों से अगरबत्ती, धुप, हर्बल गुलाल, तुलसी पावडर व् जैविक खाद आदि सामग्री बनाई जाएंगी। इस काम के लिए घरेलू महिलाओं एवं स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। यह फूल महिलाओं की आय का जरिया बनेंगे। महिलाओं के सेल्फ-हेल्प ग्रुप के द्वारा इन फूलों से विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक प्रोडक्ट बनाया जाएगा।

संस्थान के सचिव अजय सिंह के अनुसार संस्था ने एक पहल की, ऐसे में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से सर्वप्रथम बाबा विश्वनाथ के मंदिर पर चढाये फूलो को कलेक्शन करने और उसे रिसाइकिल कर महिलाओ को रोजगार से जोड़ते हुए पुन: भगवान को अगरबत्ती/धुप के रूप में अर्पित करने की रणनीति बनाई‌। उसके बाद काशी के अन्य मंदिरों से निकलने वाले फूलों से अगरबत्ती, धूप बत्ती, गुलाब जल व नेचुरल खाद तैयार करेगी। जिससे एक स्वच्छ वातावरण के साथ साथ लोगो के चेहरे पर खुशहाली लाई जा सके साथ ही भविष्य में एनआरएलएम की महिलाओं को जोड़ने और उन्हें एक रोजगार का अवसर देने का कार्य भी किया जायेगा। गांधी जयंती पर स्वच्छता पखवाड़ा के तहत छह अक्तूबर को इसका शुभारंभ किया जाएगा।

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