वाराणसी। सरसौली (भोजूबीर) स्थित ‘स्याही प्रकाशन’ के ‘उद्गार’ सभागार में डॉ. अनिल सिन्हा ‘बहुमुखी’ द्वारा रचित नाट्य पुस्तक ‘मार्गदर्शक’ का लोकार्पण हुआ। ‘स्याही प्रकाशन’ के संस्थापक और पुस्तक के प्रकाशक पं छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ थे। अध्यक्षता करते हुए पूर्व जनपद न्यायाधीश चंद्रभाल ‘सुकुमार’ ने कहा कि साहित्य और रंग कर्म की विधा ही देश समाज की दशा और दिशा को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का आईना है। आज के युवा नाटक और रंग कर्म के माध्यम से समाज में दिशा और दशा परिवर्तित कर रहे हैं। स्याही प्रकाशन और उद्गार संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष पं छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने प्रकाशकीय कार्य व नाटक विधा की महत्ता पर प्रकाश डाला। कहा कि पुस्तक के प्रकाशन में प्रकाशक की अहम भूमिका होती है वह शब्द शब्द में व्याकरण की अशुद्धियों को शुद्ध करके आगे बढ़ाता है। डॉ अनिल ‘बहुमुखी’ ने अपनी नाटक की पुस्तक ‘मार्गदर्शक’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मेरे जीवन की प्रथम पुस्तक है। मैं बचपन से ही लेखन में बहुत रुचि रखता था। इस कृति की परिकल्पना आज से चार पांच दशक पहले ही कर लिया था। जिसे अब जाकर में प्रकाशित करवा पाया हूं। मुख्य अतिथि प्रसन्न कुमार ने कहा कि चिकित्सा जब साहित्यकार और लेखन समाज का एक दर्पण होता है। मुख्य वक्ता डॉ दयाराम विश्वकर्मा ने कहा कि नाटक लेखन में रुचि रखने वाला व्यक्ति समाज की भाव भंगिमा को प्रदर्शित करता है। संचालन डाक्टर लियाकत ने कहा कि आज रंगमंच के लिए नाटकों का अभाव है प्रसाद जैसे लेखकों की कमी है जो नाटकों में अहम भूमिका निभाते थे।

विशिष्ट अतिथि श्री प्रकाश सिंह (पूर्व अधीक्षक, जिला अस्पताल वाराणसी), दिनेश कुमार सिंह (कार्यक्रम संयोजक आकाशवाणी वाराणसी) आईपीएस डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम, शैलेंद्र सिंह जिला अध्यक्ष संयुक्त कर्मचारी संघ,, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, डॉ. शुभ्रा वर्मा, नागरिक सुरक्षा के डिप्टी चीफ वार्डेन अविनाश अग्रवाल, डॉ केसरी नारायण त्रिपाठी, मुर्तुजा आलम, कंचन सिंह परिहार, अष्टभूजा मिश्रा, डा. अरुण सिंह आदि थे। काव्य सभा में डा.लियाकत अली जलज, डा. डी. आर. विश्वकर्मा, अनिरुद्ध त्रिपाठी, सुनील कुमार सेठ, हर्ष वर्द्धन ममगाई, शिब्बी ममगाई, खुशी मिश्रा की उपस्थिति रही।

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