वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को नवप्रवेशी विद्यार्थियों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व समाज संकाय अध्यक्ष प्रो. जयकांत तिवारी ने जनजातियों में विवाह की परंपरा विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हर समाज की अपनी एक अलग संस्कृति होती है, जिस प्रकार भारतीय संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति से इतर है ठीक उसी प्रकार जनजातियों में विवाह की संस्कृतियों में भिन्नता पाई जाती है। आदिम समाज मे विवाह परम्परा की विशिष्टताओं को समेटते हुए पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है। वैवाहिक परम्पराओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने केरल के नायर समुदाय की विवाह परंपरा का जिक्र किया जिसमें कम उम्र में विवाह बंधन तथा उसके बाद स्वेच्छा से किसी भी पुरूष का वरण करने की स्वतंत्रता के विषय मे बतलाया। उन्होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अफ्रीकी जनजातियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि समाज मे परिवर्तन प्रक्रिया का प्रभाव शहरी की तुलना में जनजातियों पर धीरे धीरे पड़ता है।

विशिष्ट वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. ओमप्रकाश भारती ने समाजशास्त्र की प्रासंगिकता पर कहा कि समाजशास्त्र का अध्ययन किये बगैर मानव समाज की वास्तविक मनोस्थिति को नही समझा जा सकता है। समाजशास्त्र समाज की वास्तविकता से और नित नए नए परिवर्तन से अवगत कराने वाला शास्त्र है। अब इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखना होगा।

अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. मधु सिसोदिया ने किया। स्वागत डॉ. ज्याउद्दीन, संचालन डॉ. हसन बानो एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नेहा चौधरी ने दिया। इस मौके पर डॉ. सूर्य प्रकाश पाठक, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अनुराग यादव आदि उपस्थित रहे।

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