वाराणसी। सिडबी स्पिक मैके के तत्वाधान में संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल कोइराजपुर में चल रहें तबले की कार्यशाला में विद्यार्थियों नें बनारस घराने के तीन ताल में परन और चक्रदार को बजाने का अभ्यास किया। कार्यशाला में बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक पं कामेश्वर नाथ मिश्रा नें परन और चक्रदार को बताते हुए कहा कि ताल के किसी भी मात्रा से आरम्भ होकर सम पर समाप्त हो उसे परन कहते हैं । अर्थात गृह से सम के बाज को परन कहते हैं। उन्होंने बच्चों को बीच बीच में प्रख्यात ठुमरी गायिका स्व. गिरिजा देवी एवं भारतरत्न शहनाई के सम्राट स्व. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के साथ बिताये गए संस्मरण को साझा किया। बताया कि मैं गिरिजा देवी से छोटा था तब भी मुझे वो गुरु मानती थीं और जहां भी जाती मुझे ही तबले पर संगत करने के लिए कहती थीं। गुरु पूर्णिमा पर गुरु दक्षिणा भी देती थीं। मेरे पिता जी सारंगी बजाते थे और जहां भी शहनाई बजाने के लिए उस्ताद विस्मिल्लाह खां को आमंत्रित किया जाता था तो वो मेरे पिता जी को ही साथ में संगत के लिए ले जाते थे। संस्मरण सुनाते समय कुछ समय के लिए भावुक भी हुए। प्रधानाचार्य डॉ नीलम सिंह, सुनीता पाण्डेय, विनय मिश्रा, गौरव केशरी आदि थे।