खेल मानव संस्कृति और सभ्यता के अभिन्न अंग हैं।– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.

 

वाराणसी।खेल मानव संस्कृति और सभ्यता के अभिन्न अंग हैं। प्रथमदृष्टया खेल भले ही शारीरिक एवं मानसिक स्पर्धा का माध्यम लगते हों, लेकिन वास्तव में ये कुछ वांछित विशेषताओं को साकार रूप देते हैं। ऐसे में खेलों को मानवीय उत्कृष्टता का प्रतिमान मानना उचित ही होगा।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय के क्रीड़ा मैदान में अंतर संकाय युवा महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किया।

कुलपति प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि खेल व्यक्ति के अन्दर एकता का भाव जागृत करता है।इससे सदैव एकाग्र भाव से लक्ष्य की पूर्ति करता है।इससे उत्तम शरीर और व्यक्तित्व का निर्माण होता है।साथ पुष्ट शरीर भी निर्मित होता है।अध्ययन- अध्यापन के साथ खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।खेलने से मस्तिष्क का विकास होता है।खेलों से शारीरिक विकास एवं खिलाड़ी की भावना विकसित होती है तथा धैर्य व सहनशीलता आती है।

छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रोफेसर हरिशंकर पाण्डेय ने सभी का विस्तार से वाचिक स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के अभ्युदय की मंगल कामना की तथा खेलों से होने वाले शारीरिक एवं मानसिक लाभ पर प्रकाश डाला।

निर्णायक समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर जितेन्द्र कुमार ने छात्रों से खेल नियमों का पालन करते हेतु शपथ ग्रहण कराते हुए विस्तृत आशीर्वचन प्रदान किए तथा छात्रों के अनुशासन एवं खेलों के वैज्ञानिक लाभों पर विस्तृत प्रकाश डाला।

शारीरिक शिक्षा एवं क्रीड़ा विभाग के प्रभारी / सचिव तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार यादव ने संचालन करते हुए बताया कि खेल प्रतियोगिता के प्रथम दिन बैडमिंटन, दौड़ एवं गोला-फेंक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।

जिसमें बैडमिंटन में प्रथम डूंगर शर्मा, द्वितीय विजय शुक्ला, तृतीय रोहित मिश्रा रहे।

दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम सुमित पाण्डेय, द्वितीय देवेन्द्र गौतम रहे।

गोला फेंक प्रतियोगिता में प्रथम देवेन्द्र गौतम, द्वितीय श्याम शंकर तिवारी, तृतीय सुजीत त्रिपाठी रहे।

निर्णायक समिति एवं व्याकरण के आचार्य डॉ विजेन्द्र कुमार आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किए हैं। तथा वैदिक छात्रों द्वारा वैदिक मंगलाचरण किया गया है व खेलों के महत्व को प्रतिपादित धनुर्विद्या प्रशिक्षक आदित्य कुमार ने किया।

उद्घाटन के दौरान डॉ नितिन आर्य, अभियन्ता राम विजय सिंह डॉ देवात्मा दुबे, डॉ जगदम्बिका गिरि, डॉ राजेश श्रीवास्तव सहित समस्त आचार्य, अधिकारी, कर्मचारी एवं भारी संख्या में छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे हैं

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