
वाराणसी।विश्व हिंदी शोध संवर्धन अकादमी ,कविताम्बरा तथा हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान आधुनिक परिप्रेक्ष्य हिंदी काव्य की दशा और दिशा:एक परिसंवाद विषयक संगोष्ठी एवं नयी सदी के स्वर भाग तीन का काव्य संग्रह ग्रंथ का लोकार्पण किया गया। 
स्वागत भाषण करते हुए पुस्तक के संपादक हीरालाल मिश्र मधुकर ने कहा की” नयी सादी के स्वर” 1292 पृष्ठो का एक विशाल सामवेत काव्य संग्रह है , जिसमें देश के सभी प्रातों के 325 कवियों की रचनाएं सम्मिलित हैं ।यह ग्रंथ नए युग के कवियों का सच्चा प्रतिनिधित्व करता है। इसमें समाहित है पूरी मानवता, जीवन की समग्रता , संस्कृति और परंपराओं की अभिव्यक्ति तथा लोकमंगल की कामना। यह हिंदी साहित्य का कालजयीअमृत कलश है ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर वशिष्ठ अनूप ने कहा कि यह पुस्तक अपने आप में एक कीर्तिमान है ।इन कविताओं में हमारा समय अनेक सुरों में बोलता है। इन कविताओं में भारतीय समाज की अनेक छबियां दिखाई देती हैं ।
मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि नयी सदी के सदी के स्वर की कविताएं शब्द ब्रह्म का बोध कराती हैं ।यह ग्रंथ शोध छात्रों के लिए अनमोल निधि है । बीज वक्ता कोल्हापुर महाराष्ट्र से आए हुए प्रो. डॉक्टर अर्जुन चह्वाण ने कहा कि यह अज्ञेय जी द्वारा संपादित तार सप्तक के काव्य परंपरा की याद दिलाने वाला काव्य जगत का महान आश्चर्य है, जो नया कीर्तिमान गढ़ता है।
केशव जालान भाईजी ने कहा कि यह अपने आशय,विबष, शिल्प ,शैली एवं कथ्य के वैविध्यता से चमत्कार उत्पन्न करता है ।श्री नारायण खेमका ने कहा कि यह ग्रंथ शोध छात्रों के लिए कल्पवृक्ष के समान है।अपर आयुक्त राजस्व गिरीन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस आधुनिकता के दौर में नयी सदी के स्वर की कविताएँ मनुष्यता की रक्षा करती हैं। समारोह में डॉ. वीरेंद्र निर्झर अनिरुद्ध सिंन्हा,डॉ. संजय पंकज ,डॉ.अमिता दुबे , उपासना दीक्षित ने भी अपने- अपने विचार रखे ।
संचालन डॉक्टर राम सुधार सिंह तथा अभिनव अरुण ने किया ।इस समारोह में नेपाल से लेकर देश के 14 प्रांतों के कवियों की उपस्थिति रही ,151 शिक्षाविदों, सामाजिक विभूतियों को सम्मानित किया गया , जिनमें मुख्य रूप से डॉ आर. के. ओझा, डॉ. ए. के. कौशिक, डॉ पी आर सिन्हा, डॉ आषुतोष मिश्र,श्री कृष्ण कुमार खेमका, श्री अनूप अग्रवाल, रामनरेश नरेश, सुबास चंद्र, प्रकाश श्रीवास्तव गणेश, झरना मुखर्जी,रविशंकर सिंह, गोविन्द भार्गव आदि प्रमुख रूप से थे।
समारोह में भोलानाथ त्रिपाठी विह्वल , श्री राणा दीपक सिंह ,डॉ.सुभाष चंद्र ,गिरीश पाण्डेय बनारसी , डॉ .रोशनी किरण ,डॉ. प्रियंका सिंह ,निधि देव अग्रवाल ,कंचन सिंह परिहार ,डॉ मधुबाला सिन्हा, मणिबेन द्विवेदी, डॉ नसीमा निशा ,झरना मुखर्जी, बिंदेश्वरी मिश्र, डॉक्टर लता अग्रवाल तुलजा, पंकज मिश्रा ,टीकाराम आचार्य ,डॉ वेद प्रकाश पांडे, डॉ गजेंद्र गजाधर गंगेश , संतोष प्रीत, आलोक सिंह, अख्लाक ख़ान भारतीय, ज्योति मिश्रा, मधु शुक्ला,आदि 300 से अधिक कवियों की उपस्थिति रही।
