वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय भारतीय राजनीतिक चिंतक एवं उनकी वर्तमान प्रासंगिकता विषयक पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को पंडिता रमाबाई के लैंगिकता एवं शिक्षा पर विचार विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रियंका झा ने रमाबाई के अवदान पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि रमाबाई का सबसे बड़ा योगदान महिलाओं में चेतना जागृत करना था। जिस काल में महिलाओं के लिए शिक्षा पाना मुश्किल था, उस दौर में उन्होंने शास्त्र का अध्ययन किया और शास्त्रार्थ के जरिये पंडिता और सरस्वती की उपाधि हासिल की। महिलाओं की शिक्षा के लिए पहली बार रमाबाई ने शारदा सदन एवं मातृ सदन जैसी संस्थाएं स्थापित की, जहाँ विधवा स्त्रियों, बालिकाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था थी।

डॉ. प्रियंका झा ने कहा कि पंडिता रमाबाई एक राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत महिला थी जिन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेश में ईसाई धर्म अपनाया लेकिन वहाँ भी महिलाओं के प्रति भेदभाव देख इसे धर्म त्याग भारत लौट आयी। उन्होंने कहा कि भारत मे राजनीतिक चिंतक के रूप में पुरूष एकाधिकार ज्यादा है, महिलाओं को चिंतक के रूप में वो मान्यता ही नही मिली जिसकी वें अधिकारी थी। भारत में जब भी शिक्षा की बात होगी रमाबाई का उल्लेख अग्रणी मिलेगा। इसके पूर्व डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा ने विषय स्थापना, स्वागत डॉ. प्रतिमा गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियंका सिंह ने दिया। इस मौके पर डॉ. विकास सिंह, डॉ. गिरीश दुबे, डॉ. गौरव मिश्रा आदि सहित बड़ी संख्या में छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *