वाराणसी।काशी में स्थित भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्थापित प्राच्यविद्या के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय से हमारे भारतीय ज्ञान से वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञान परम्परा स्थापित हो रहा इसके लिए इस संस्था को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाये जाने पर जोर दिया गया।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में आज कुलपति के कार्यालय में “विश्वविद्यालय विकास समिति” की आयोजित बैठक में सभी सदस्यों ने एक मत से पारित किया।

समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं उद्योगपति आर•के•चौधरी एवं वास्तुविद/ उद्योगपति आर• सी• जैन ने कहा कि यह विश्वविद्यालय देव भाषा संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए 234 वर्षो से स्थापित है, देशभर में इस विश्वविद्यालय के 600 से अधिक संबंद्ध महाविद्यालय संचालित हैं तथा यह काशी की धरोहर है इस संस्था की आर्थिक समस्याओं के दृष्टिगत इसका केंद्रीय स्वरुप होना चाहिए।इसके लिए शीघ्र ही इसके ढांचे का एक प्रस्ताव तैयार कराकर भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सराकार के पास प्रेषित किया जाना चाहिए।काशी के लोग केंद्रीय दर्जा दिलाए जाने हेतु संकल्पित भाव से खड़े हैं।

भारतीय नववर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नए विक्रम संवत के साथ 09 अप्रैल से वासंतिक नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नए संवत्सर की शुरुआत के साथ वासंती नवरात्र की घट स्थापना मां दुर्गा की पूजा एवं पाठ का कार्य शुरू हो जाएगा।उस दिन विश्वविद्यालय में वृहद ॐ के झंडे के साथ शोभायात्रा तथा मुख्य भवन में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा।

इसमे विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए नारी शक्ति का सम्मान और अभिनंदन (09 महिलाओं) किया जाएगा।09 दिनों तक नवरात्रि पर्व में माँ के पाठ के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।51 सौ विद्यार्थियों को भी इस अवसर पर जोड़कर श्लोक, देवी चित्र पेंटिंग आदि की प्रतियोगिता कराये जाने के भी कार्यक्रम आयोजित करने पर विचार किया गया।

समिति में चैत्र नवरात्रि द्वितीया (10 अप्रैल)को भारत भारतीय और भारतीयता के लिये स्थापित इस विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस आयोजित किया जाएगा, जिसमें भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा।

उक्त दिवस पर कुलपति ने समिति के सदस्यों को सपरिवार सादर आमंत्रित किया गया।

समिति ने इस संस्था एवं विश्वविद्यालय विकास समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में संवत्सर व्यापी चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ जो कि दिनाँक 12 मार्च से 2024 से निरन्तर चल रहे यज्ञ की निरन्तरता के लिए एक कैलेण्डर तैयार किया जाएगा, जिसमें विशेष दिवसो पर (21 दिन, 51 दिन, 101 वें दिन या अन्य) पर विशेष कार्यक्रम के साथ यज्ञ चलता रहेगा।यज्ञ स्थल पर ध्वनि यंत्र, लाइटिंग और पेयजल की समुचित व्यवस्था किये जाने पर जोर दिया गया।महायज्ञ के निरन्तरता एवं गतिशीलता के लिये आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न आयामों पर भी निर्णय लिया गया।समिति के सदस्यों ने यज्ञ स्थल पर भौतिक रूप से निरीक्षण किया गया।

समिति ने काशी में आने वाले पर्यटकों को भारतीय ज्ञान परम्परा के लिये काशी में स्थित इस संस्था के योगदान पर एक वृत्तचित्र तैयार कर दिखाने का निर्णय भी लिया गया है जिसके माध्यम लोग भारतीय ज्ञान परंपरा के धरातल से जुड़ सकेंगे।

समिति के द्वारा संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग द्वारा संचालित/निर्मित एवं 148 वर्षों से अनवरत प्रकाशित “श्रीमद्बापूदेव शास्त्री दृकसिद्ध पंचांग” संवत 2081 का विधिवत लोकार्पण किया गया।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस पंचांग से राज्य सरकार व्रत पर्वों का निर्धारण करती है। यहां से 148 वर्षों से प्रकाशित पंचांग जिसका लोकार्पण हुआ है यह देश को वैदिक दृष्टि में राह प्रशस्त करता है। देश को एक दिशा देने में सहायक इस पंचांग की विशेषतायें वृहद् हैं। जो की अन्य पंचांगो से भिन्न और अद्भुत है।

इसे बहुत ही सूक्ष्मता से गणितीय शुद्धता को ध्यान रखते हुये प्रकाशित किया गया है। यह पंचांग दृकसिद्ध पद्धति पर आधारित है।

उस दौरान प्रो रामपूजन पाण्डेय, प्रो अमित कुमार शुक्ल, कुलसचिव राकेश कुमार, विकास समिति के सदस्य उद्योगपति आर के चौधरी, आर सी जैन, दीपक बजाज, अशोक अग्रवाल, डॉ भारती बसंत कुमार, राजेश भाटिया, डॉ हृदय नारायण पाण्डेय, जयशंकर शर्मा, अरुण अग्रवाल, गोविंद केजरीवाल, श्री कृष्ण खेमका, ओमप्रकाश जायसवाल, रमन तिवारी, प्रदीप अग्रवाल संतोष अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

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