चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ: 69 दिनों की एक पवित्र यात्रा—-

 

 

वाराणसी।संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, एवं विश्वविद्यालय विकास समिति के सहयोग से डॉ•विजय कुमार शर्मा के संयोजकत्व में वेद विभाग में शास्त्रोक्त व्यापक वैदिक अनुष्ठान, चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ का आयोजन चल रहा है।

आज इस महत्वपूर्ण अवसर का 69 दिन है, जिसकी शुरुआत बड़ी धूमधाम और आध्यात्मिक उत्साह के साथ चल रही है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि

प्राचीन शास्त्र परंपराओं के अनुसार किए जाने वाले इस भव्य महायज्ञ का उद्देश्य वैश्विक कल्याण, सद्भाव और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देना है। चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ एक अनूठा और ऐतिहासिक आयोजन है जो देश भर के विद्वानों, आध्यात्मिक नेताओं और भक्तों को इस पवित्र यात्रा में भाग लेने के लिए एक साथ लाता है।

इस महायज्ञ में बाहर से कोई भी यजमान के रूप में अपने परिवार के साथ सहभाग कर सकता है।

कुलपति प्रो शर्मा ने बताया कि

पिछले 69 दिनों से यज्ञ में वैदिक मंत्रों का उच्चारण, पवित्र अनुष्ठानों का प्रदर्शन और दिव्य अग्नि में आहुति डाली गई है। प्रतिभागी आध्यात्मिक माहौल में डूबे हुए हैं और मानवता की भलाई के लिए ईश्वर का आशीर्वाद मांग रहे हैं।यज्ञ स्थल तपोभूमि है, ऋषि तुल्य आचार्यों ने अनवरत यज्ञ कर उर्जावान भूमि बना दिया है।

संयोजक डॉ विजय कुमार शर्मा ने बताया कि इस भव्य आयोजन के 69वें दिन के अवसर पर हम इस यज्ञ के महत्व और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव पर विचार करते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- “वेदानां सामवेदोस्मि” अर्थात वेदों में मैं सामवेद हूँ। भारतीय संगीत का उद्भव सामवेद से ही हुवा है और ऐसी मान्यता है कि संगीत के माध्यम से प्रार्थना करने पर देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं, सामवेद स्वयं गीति स्वरूप होने के साथ वातावरण को मधुमय बनाने वाला है। इसके द्वारा स्वाहाकार होने से समाज, परिवार तथा राष्ट्र मे परस्पर मधुरता स्थापित होगी। महायज्ञ के आचार्य एवं संयोजक डॉ. विजय कुमार शर्मा ने बताया कि यज्ञ में आहुति प्रदान करने वाले ब्राह्मण गुरुकुलों के अध्येता हैं इसलिए शुद्ध उच्चारण एवं शास्त्रोक्त रीति से यज्ञ का सम्पादन किया जा रहा है।

ईश्वर का आशीर्वाद हमें आध्यात्मिक विकास, सद्भाव और वैश्विक कल्याण के मार्ग पर ले जाए। विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय विकास समिति द्वारा आयोजित 69 दिवसीय वैदिक अनुष्ठान चतुर्वेद स्वाहाकार विश्व कल्याण महायज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालता है, जिसका उद्देश्य प्राचीन शास्त्र परंपराओं के माध्यम से वैश्विक कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देना है

महायज्ञ के पवित्र अनुष्ठान के माध्यम से वेद के छात्रों ने आहुति दी, जिससे पूरा वातावरण शुद्धि के साथ सुगंधित धुएं से भर गया। इस निस्वार्थ कार्य ने न केवल आसपास के वातावरण को पवित्र किया, बल्कि एक गहरा संदेश भी दिया “वेदों का ज्ञान हमें आध्यात्मिक विकास के मार्ग की ओर ले जाए और इस पवित्र अनुष्ठान का सार हमारे मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करे। जिस तरह सुगंधित धुआं हर कोने में व्याप्त है, उसी तरह प्यार, करुणा और सद्भाव हर दिल में भर जाए, एक ऐसी दुनिया का निर्माण करे जहाँ हम सभी एकता और दिव्य आनंद में पनपें।”

यज्ञ में वेद विभागाध्यक्ष प्रो महेंद्र पाण्डेय, डॉ ज्ञानेन्द्र साँपकोटा,डॉ दुर्गेश पाठक, पं अनिकेत, जिज्ञासु पाण्डेय, आयुष, संतोष दुबे एवं अनेक वेद विद्यार्थियों ने इस महायज्ञ में सहभाग किया।

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