वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग के तत्वावधान में शनिवार को वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में संचालित ‘मानवाधिकार’ के समापन सत्र पर भारतीय परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार विषय पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय के प्रोफेसर डॉ.अजय सिंह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकारों का इतिहास मानव सभ्यता के इतिहास के साथ ही शुरू होता है। मानवाधिकार के संबंध में समान्यत दो विचार प्रचलित हैं । पहला विचार जिसके अगुवा जॉन लॉक थे उनके अनुसार माना जाता है कि मानवाधिकार कानूनों से परे हैं तथा कानून मानवाधिकार से जन्मे है । जबकि दूसरे विचार के प्रवर्तक ऑस्टिन है जो मानते हैं कि मानव अधिकार कानून से जन्मे है। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के एक्ट 2(डी) को भारत में मानवाधिकारों का मुख्य स्रोत माना जाता है परंतु यह अधूरा है जिसको समय समय पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बहुआयामी बनाने का प्रयास किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका सिंह ने किया। संचालन डॉ. राकेश मीणा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा ने दिया। इस अवसर पर डॉक्टर प्रतिमा गुप्ता, गौरव मिश्रा सहित उत्सव, सोनू, दिव्यानी, मनिका, अजय, दिव्या, ज्ञानचंद, प्रभात, निखिल, आलोक समेत अनेक विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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