भक्तिरस में डूब कर झूम उठे श्रोता
वाराणसी। लक्सा स्थित मारवाड़ी समाज भवन में मंगलवार को संगीतमय श्रीराम कथा में भक्ति रस में डूब कर झूम उठे श्रोता।
नौ दिवसीय कथा के लिए मुम्बई से काशी आये सजन डोकानिया और कुसुम डोकानिया के 50वीं वैवाहिक वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया। काशी नगरी के श्रोता परिवार सहित उपस्थित होकर कथा का श्रवण किया। प्रसिद्ध कथा वाचक वाणी भूषण और त्याग मूर्ति संत शम्भू शरण लाटा मंगलवार को पहले दिन पावन प्रसंग की शुरुआत मंगलाचरण और श्रीराम नाम की महिमा के गुणगान से किया। उन्होंने कहा कि पंच देवता उपासना के पश्चात कथा परिवार सहित सुनना चाहिए। सबसे ऊंचा स्थान हिमालय का है। कथा दिमाग़ से नहीं ह्रदय से सुननी चाहिए। कथा में शरीर के साथ मन को भी शामिल होना चाहिए। जो श्री राम जी ने रच के रखा है वही होगा। होहिये वही जो राम रची राखा।
हारे हुए लोगों का मंत्र है हरि शरणम हरि शरणम हरि का गुणगान करना चाहिए। भारत में पहले प्रणाम के पहले पिता का नाम लेते थे। श्री राम जी पिता के नाम से प्रणाम करते थे। कहते थे मैं दशरथनन्दन राम आपको प्रणाम करते हैं। गलती हो जाए तो पश्चाताप अवश्य करना चाहिए। राम कथा में आंखें बंद करने से शक्ति मिलती है। आंखे बंद कर योग और जप करने से शक्ति बढ़ती है। मनमुटाव होने पर मिलने पर हंस के बात करनी चाहिए। हंसना जानवर और इंसान के बीच का सबसे बड़ा फर्क है। हंसना मनुष्य के भाग्य में होता है। संवादहीनता नहीं होनी चाहिए। बुराई के मिश्रण से यह संसार बनाया है। दुष्ट व्यक्तियों को पहले प्रणाम करो। कार्यक्रम के अंत में संक्षिप्त रामायण का पाठ किया गया। आरती के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर सजन डोकानिया, कुसुम डोकानिया, आलोक डोकानिया, अंकित डोकानिया, काजल डोकानिया, पारुल डोकानिया, श्वेता मुरारका, डॉ शिल्पा जैन, विष्णु मुरारका,अभिनव जैन, यश मुरारका, डॉ तान्या मुरारका, अरिष्ठा जैन,धिति डोकानिया, विशेष डोकानिया, ओजस्वी डोकानिया,नयोनिका डोकानिया, राजू धमानिया, बजरंग अग्रवाल, उर्मिला अग्रवाल सहित अन्य भक्तों ने तुलसी दास एवं सूरदास की चौपाइयों सहित संगीतमय श्रीरामकथा का श्रवण किया।