सबसे बड़ा धर्म परोपकार है-संत शम्भू शरण लाटा
वाराणसी। मारवाड़ी समाज लक्सा में नौ दिवसीय श्री रामकथा के दूसरे दिन वाणी भूषण त्यागमूर्ति संत शम्भू शरण लाटा ने शिव विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा श्रोताओं को सुनाये। उन्होंने कहा कि भगवान का रामनाम पियों इससे बड़ा कोई नशा नहीं है। भगवान शिव लीला के माध्यम से जीना सिखाते हैं। उन्होंने भगवान शिव के विवाह पूर्व की कथा सुनाये और उनके विवाह के तैयारी को बड़े मनमोहक ठंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव का श्रृंगार मनुष्य के लिए एक प्रेरणा है। श्रृंगार और प्यार में भार नहीं होता। भगवान शिव के सिर पर जटा गले में सांप नर मुंड की माला और बाघ की खाल पहन कर एक बड़े सांप से कमर में लपेट कर पहना दिया गया और शरीर पर चिता भस्म का लेपन कर दिया। बारात तैयारी के साथ नारायण पीतांबर में और भगवान शंकर दिगंबर के भेष में और बाराती के रूप में भूत पिशाच पूरे संसार के प्राणी अनेक रूपों में सम्मिलित हुए। भगवान शंकर बैल पर बैठ कर बारात में चल दिए। कथावाचक के भगवान शंकर के बारात पर आधारित गीत आई शंकर की बरतीया हिमाचल नगरी पर सभी श्रोता झूम उठें। उन्होंने लोक कथाओं के माध्यम से संगीतमय कथा से शिव प्रसंग को संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। लज्जा से शांति मिलती है। समाज में जब लज्जा होगी तो शांति मिलेगी। इसलिए शिव विवाह के समय पार्वती लज्जा करके बैठी होती हैं। पार्वती को नारी धर्म की शिक्षा लेकर विदा हुईं। शिव के विवाह की कथा सुनने से परिवार का कल्याण होता है। मनुष्य को दुर्गति से बचने के लिए गतिमान होना चाहिए। सभी को पुरुषार्थ श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।
कार्यक्रम में कथा के पश्चात संक्षिप्त रामायण का पाठ एवं आरती कर प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर सजन डोकानिया, कुसुम डोकानिया, आलोक डोकानिया, अंकित डोकानिया, काजल डोकानिया, पारुल डोकानिया, श्वेता मुरारका, डॉ शिल्पा जैन, विष्णु मुरारका, अभिनव जैन, यश मुरारका, डॉ तान्या मुरारका, अरिष्ठा जैन, धिति डोकानिया, विशेष डोकानिया, ओजस्वी डोकानिया, नयोनिका डोकानिया, राजू धमानिया, बजरंग अग्रवाल, उर्मिला अग्रवाल सहित सैकड़ो भक्तो ने श्रीरामकथा के अंतर्गत शिव विवाह का श्रवण किया।