लखनऊ । गांधी जयंती के उपलक्ष्य में अथर्व इंडिया अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान के संवाद कार्यक्रम में विषय रहा “गांधी के आदर्श”
इस ऑनलाइन कार्यक्रम में गांधी जी के बहु आयामी व्यक्तिव पर परिचर्चा हुई।
इस परिचर्चा में संस्थान के प्रबंध निदेशक डॉ वी बी पांडेय, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ करुणा पांडेय, मुख्य अतिथि डॉ जयप्रकाश तिवारी, मुख्य वक्ता डॉ तारकेश्वर नाथ ITBP झारखंड, डॉ शारदा प्रसाद रामगढ, कार्यक्रम संयोजक अनिशा कुमारी, संचालक अपर्णा सक्सेना उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अन्य वक्ताओं मे डॉ. हेमलता रानी दिल्ली विश्वविद्यालय, आशीष अम्बर दरभंगा (बिहार), अंजू सुंदर (लखनऊ), डॉ प्रभात पाण्डेय, ललिता कृष्ण (दिल्ली), कासम आजाद (हरियाणा), डॉ छाया शर्मा (राजस्थान), अर्चना सिंह (उत्तर प्रदेश) डॉ जनार्दन तिवारी, संध्या श्रीवास्तव, प्रेम कुमार शर्मा, डॉ अनीता श्रीवास्तव,डॉ विश्वभर दयाल अवस्थी, किरण अग्रवाल, पूजा गुप्ता,कुँवर संजय जगताप, कुमार धनंजय सुमन आदि विद्वज्जन थे।
सभी ने अपने अपने उपयोगी विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी जी की 155वीं जन्म जयंती पूरे देश में मनाई जा रही है और उनके जीवन दर्शन पर अबतक बहुत कुछ गया है। विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में उन पर शोध कार्य हो रहे हैं।
विचारणीय प्रश्न है कि उनके जीवन में “सत्य” और “अहिंसा” का संप्रत्यय आया कैसे? इसके सम्यक उत्तर के लिए हमें गांधी जी के संपूर्ण व्यक्तित्व को दो भागों में विभाजित कर देखना होगा – (i) मोहनदास करमचंद गांधी जो एक संपन्न परिवार से थे और विलायत बैरिस्टर की पढ़ाई करने गए थे। उस समय न ब्रह्मचारी थे न पूर्ण शाकाहारी। वे पाश्चात्य सभ्यता/परंपरानुसार मांसाहारी भी थे। (ii) बैरिस्टर गांधी जो दक्षिण अफ्रीका में समाज और न्याय के लिए कानूनी लड़ाई लड़कर नाम कमाकर भारत लौटने वाले गांधी जिन्हे बिना श्रम के सहज ही स्वाधीनता संग्राम में एक सम्मानित नायक के रूप में स्वीकृति और ग्राह्यता मिल गई।कार्यक्रम में निम्न बिन्दुओं को केन्द्रित कर चर्चा की गई। गाँधीवाद, भारत की आजादी में गांधी का योगदान गांधी एक विचारधारा मॉडर्न गांधी गांधी एवं अष्पष्टा गांधी एवं स्वदेशी विचार गांधी दर्शन का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व गांधी एवं भारत विभाजन
कार्यक्रम संयोजक अनिशा कुमारी ने गांधी जी के सरल जीवन पर चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान परिपेक्ष में विद्यालयों में होने वाले फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में आज भी लोग अपने बालकों को गांधी बनना पसंद करते हैं कार्यक्रम के समापन पर संस्था के अध्यक्ष डॉ वी बी पाण्डेय ने गांधी को व्यक्ति नहीं विचारधारा बताते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।