दिल्ली। रविवार को संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यालय ‘कला संकुल’ में मासिक कला संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री से सम्मानित जानेमाने नौटंकी कलाकार व गुरु रामदयाल शर्मा जी उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक संगोष्ठी के अवसर पर विभिन्न लोकनृत्यों की भी प्रस्तुति हुई। इस श्रृंखला में सुश्री स्नेहा मुखर्जी एवं डॉ. प्रभा दुबे के समूह ने राजस्थानी, हरियाणवी एवं बंगाली लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी।
अपने उद्बोधन में पद्मश्री रामदयाल शर्मा जी के कहा कि नौटंकी शुद्ध रूप में धार्मिक और भारतबोध की कला है। पारसी थियेटर और फिल्मों के प्रभाव से कालांतर में नौटंकी में अश्लीलता आई। प्रारंभ में नौटंकी कला स्वांग और भगत के रूप में जानी जाती थी।
पहले के समय में भारत बोध के बिना कोई मंचीय कला नहीं होती थी। सत्य के पीछे राजा हरीशचंद्र ने कितने कष्ट उठाए, इसी को यदि कला के माध्यम से दिखाया जाए तो नई पीढ़ी में भारतबोध होगा।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में कला शिक्षक, शोधार्थी एवं कला रसिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम संचालन सुश्री गरिमा रानी व धन्यवाद ज्ञापन श्रुति सिंहा जी ने किया।
उल्लेखनीय है सांस्कृतिक कला केंद्र के रूप में उभरते संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को होने वाली संगीत, नृत्य, लोक नृत्य, साहित्य, चित्रकला विषयो पर आधारित “मासिक संगोष्ठी” का आयोजन करता है। दिल्ली में कला दृष्टि की व्यापकता, कला विषय पर विमर्श, उनकी चुनौतियों के आंकलन एवं भारतीय कला दृष्टि के संयोजन जैसे कला जगत के विभिन्न घटकों को ध्यान में रखते हुए संस्कार भारती पिछले कई वर्षो से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित कला संकुल में ‘मासिक संगोष्ठियों’ का आयोजन कर रहा है। विगत संगोष्ठियों में प्रशिद्ध नृत्यकार चित्रकार पद्मश्री राम सुतार, पद्मश्री रंजना गौहर,संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित भरतनाट्यम नृत्यांगना रमा रमा वैद्यनाथन, पंडित बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी, जय प्रभा मेनन,श्री अभय सुपोरी, श्रीमती मीनू ठाकुर, प्रो.चंदन चौबे सहित अनेक मूर्धन्य कलाकार, विद्धवान ने उपस्थिति दर्ज कराई है।