वाराणसी। प्रेमचंद की कहानी एक साधारण व्यक्ति उनके समय के समाज का प्रतिबिंब हैं। उनकी कहानियाँ जटिल मानवीय भावनाओं के सुंदर चित्रण के लिए जानी जाती हैं। प्रेमचंद ऐसे लेखक हैं जिन्होंने अपनी भारतीय कहानियों में यथार्थवाद का परिचय दिया।साहित्य में यथार्थवादी प्रेमचन्द ने वैसा ही लिखा है, जैसा उन्होंने देखा है। उन्होंने रोमांस और अध्यात्म को अपनी कहानी में हावी नहीं होने दिया, सत्य चित्रण के कारण ही उनका चित्रण प्रभावशाली बन पड़ा है। आज पढ़ी गई कहानी में प्रेमचंद जी वैवाहिक समस्या को केंद्र में रखकर स्त्री-पुरुष के सम्बंधों की व्याख्या की है। साथ ही स्त्री के वाह्य सौंदर्य के अपेक्षा अंत: सौंदर्य को प्रतिष्ठित करते हुए सौंदर्य की व्याख्या की है। उन्होंने सौंदर्य को आत्मा की अभिव्यक्ति से जोड़ते हुए स्त्री के सेवा त्याग प्रेम के गुणों को अधिक महत्व दिया है। यह बातें प्रो. श्रद्धानंद ने प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही द्वारा प्रेमचंद स्मारक स्थल लमही में कहीं। सुनों मैं प्रेमचंद कहानी के 1406 दिवस पूर्ण होने पर प्रेमचंद की कहानी स्त्री और पुरुष का वाचन समाजसेवी राधेश्याम गोंड ने किया। सम्मान संरक्षक प्रो. श्रद्धानंद व निदेशक राजीव गोंड ने किया। इस अवसर सुर्यकांत त्रिपाठी, नीरा गोंड , बिना त्रिपाठी , राकेश वर्धन , यश, रोहित गुप्ता,अजय यादव, संजय श्रीवास्तव, राहुल विश्वकर्मा, राहुल यादव, सुजीत सिंह, मनोज विश्वकर्मा आदि थे।

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