साहित्यकार डॉ. रामसुधार सिंह की पुस्तक ‘मोक्ष नगरी का जीवन दर्शन’ का लोकार्पण 

 

 

वाराणसी। आज वैज्ञानिक सुविधाओं से सम्पन्न मानव धरती से आगे बढ़कर दूसरे ग्रहों की ओर अग्रसर है। आज के मनुष्य के पास सब कुछ है, फिर भी वह अशान्त है। संचार साधनों के विकास ने विश्व को विश्वग्राम बना दिया है। भौगोलिक एवं परिवेशीय कारणो से विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग धर्मों का जन्म हुआ किन्तु सभी धमों का उद्देश्य विश्वमानवता का कल्याण करना है। ये बाते आज कैण्ट स्थित विशप हाउस में खीस्त जयन्ती की पूर्व संध्या पर आयोजित मिलन सहारोह की अध्यक्षता करते हुए भारत में वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोल्दो गिरेली ने कही। उन्होने कहा कि वाराणसी धर्म एवं संस्कृति की प्राचीन नगरी है। यहां से निकला संदेश पूरी दुनिया तक पहुँचता है। कार्यक्रम का आरम्भ दीपार्चन के साथ हुआ। इस अवसर पर प्रो.रमेश चंद्र नेगी (केन्द्रीय उच्च तिब्बती संस्थान, सारनाथ), भाई धर्मवीर सिंह (ग्रंथी गुरुद्वारा), प्रो.सुमन जैन (बीएचयू), डॉ.सुनीता चन्द्रा (कुलसचिव, तिब्बती संस्थान, सारनाथ), स्वामी विश्वात्मानंद (अद्वैत आश्रम), अब्दुल बातिन नोमानी (मुफ्ती ए बनारस), प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र (महंत संकटमोचन) आदि ने अपने उद्बोधन के द्वारा इस आयोजन की सार्थकता और उपादेयता पर विस्तार से प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों द्वारा साहित्यकार डॉ. रामसुधार सिंह की पुस्तक ‘मोक्ष नगरी का जीवन दर्शन’ का लोकार्पण किया गया। विशप ने पुस्तक के महत्व पर प्रकाश डाला। सेंट मेरीज स्कूल के बच्चों ने क्रिसमस डांस प्रस्तुत किया तथा फादर प्रज्वल एवं सिस्टर्स ने शांति गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामसुधार सिंह ने तथा वाराणसी के धर्माध्यक्ष विशप यूजिन ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। अंत में नव वाणी स्कूल के बच्चों द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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