वाराणसी। ब्रांच एमएसएमई विकास कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। अध्यक्षता अतिरिक्त विकास आयुक्त एमएसएमई मंत्रालय आरके राय ने की। इसमें विभिन्न उद्योग संघों, औद्योगिक विशेषज्ञों और प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य वाराणसी में प्रस्तावित टेक्नोलॉजी सेंटर के लिए तकनीक और सेवाओं का निर्धारण करना था, ताकि स्थानीय उद्योगों और कारीगरों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। भाग लेने वाले प्रमुख प्रतिनिधि:
राजेश भाटिया, राष्ट्रीय सचिव, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, राजेश सिंह, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, काशी प्रांत मोहन अग्रवाल, अध्यक्ष, मिर्जापुर मेटल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन। प्रतिनिधि: आईआईटी बीएचयू, बीएलडब्ल्यू, बीएचईएल, गेल, एनटीपीसी और अन्य केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम ।
बैठक की मुख्य बातें: स्थानीय आवश्यकताओं की पहचान: उद्योग संघों और विशेषज्ञों ने स्थानीय उद्योगों, विशेष रूप से हस्तशिल्प और एमएसएमई क्षेत्र, की चुनौतियों और आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। तकनीक की सिफारिशें: कौशल विकास, आधुनिक उत्पादन, डिज़ाइन नवाचार, और डिजिटल मार्केटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। हस्तशिल्प पर फोकस: पारंपरिक शिल्प को संरक्षित और उन्नत करने के लिए उन्नत उपकरण और तकनीकों को अपनाने पर विशेष जोर दिया गया। सहयोग पर जोर: सरकारी निकायों, उद्योग जगत के नेताओं और कारीगरों के बीच सहयोग को टेक्नोलॉजी सेंटर की सफलता के लिए महत्वपूर्ण माना गया। आरके. राय ने एमएसएमई और कारीगरों को प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे के माध्यम से समर्थन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, वाराणसी में टेक्नोलॉजी सेंटर नवाचार के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा, जिससे उद्योगों और कारीगरों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने में मदद मिलेगी। यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वाराणसी को कौशलयुक्त निर्माण और हस्तशिल्प के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक कदम है। आनलाइन माध्यम से जुडे वाराणसी जनपद के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बैठक की सराहना की।