वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज और प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से परिसर में सोमवार को जनकवि सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ की 50वीं पुण्यतिथि मनाई गई। पहले सत्र में ‘हिंदी कविता: धूमिल और उनके बाद’ विषयक संगोष्ठी और दूसरे सत्र में कविता पाठ हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि शिवकुमार ‘पराग’ ने कहा कि धूमिल की कविताएं पटाखा नहीं हैं ,बल्कि अग्निपुंज है उनमें जनता की आवाज है। उन्होंने कहा कि जब-जब लोकतंत्र और जनता पर संकट आएगा धूमिल की कविताएं अपनी अपनी प्रासंगिकता प्रमाणित करती रहेगी। मुख्य वक्ता के वर्तमान साहित्य पत्रिका के संपादक डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि धूमिल की कविताएं शोषित समाज के पक्ष में खड़ी हुई कविताएं हैं। उनकी कविताओं में गहन राजनीतिक चेतना है। उन्होंने कहा कि धूमिल नागार्जुन, त्रिलोचन और केदारनाथ सिंह की परंपरा के कवि हैं। धूमिल के बाद की कविता में ज्ञानेंद्रपति, अशोक बाजपेई ,राजेश जोशी, चंद्रकांत देवताले, गोरख पांडे, बोधिसत्व , एकांत श्रीवास्तव, व्योमेश शुक्ला, मदन कश्यप, अष्टभुजा शुक्ल, अनुज लुगुन , विहाग वैभव, रूपम मिश्रा जैसे कवियों के कवि कर्म की चर्चा किया। अतिथियों का स्वागत प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह ने किया। संचालन प्रो. गोरखनाथ, धन्यवाद प्रो. सुधीर राय ने किया
दूसरे सत्र में कविता पाठ में जनकवि शिवकुमार ‘पराग’ ने अपनी कविताओं को प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘तिनका-तिनका जुटा के लाती रहे, जिंदगी घोंसला बनाती रही / पांव मेरे फिसल गए होते, मेरी कविता मुझे बचाती रही। भोजपुरी के प्रसिद्ध कवि प्रकाश उदय ‘ठेंगे पर महलन’ तथ ‘रोपनी के गीत ‘ कविताएं प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। काव्य गोष्ठी में समकालीन कविता के विशिष्ट हस्ताक्षर विहाग वैभव ने ‘खुदाई’ , ‘ सिधारी’ , ‘ठेकेदार’ ‘बेहया के फूल’ कविताएं पढ़ा। प्रतापगढ़ से आई हुई प्रसिद्ध कवित्री अनुपम मिश्रा ने ‘प्रेम करने की जिम्मेदारी’ , ‘तुम्हारे पक्ष में मेरी गवाही’ कविताएं प्रस्तुत किया। युवा कवयित्री अपूर्वा श्रीवास्तव ने ‘हमारे पूर्वज’ और ‘पुन: स्थापित राम राज्य’ कविताएं प्रस्तुत किया । कवयित्री लता जौनपुरी ने अपनी गजलों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में, बस्तियां जलाने में देर कितनी लगती है।’ आजमगढ़ से आए हुए कई हसीन खान ने ‘जमीन पर उतरी कविता’, ‘चुनाव का देवता’ कविताएं प्रस्तुत किया। काव्य गोष्ठी में वंदना चौबे , अनीता सिंह , प्रीत जायसवाल , तथा धीरेंद्र पटेल ने भी कविताएं पढ़ीं। संचालन डॉ. वंदना चौबे, धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ राम सुथार सिंह,डा.(मेजर) अरविन्द कुमार सिंह,प्रो . शशिकांत द्विवेदी, सुरेश प्रताप, प्रो.सुधीर कुमार शाही , डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. शैलेंद्र सिंह, प्रो. पंकज कुमार सिंह, डॉ. सदानंद सिंह , प्रो. रमेशधर द्विवेदी, प्रो. गरिमा सिंह , प्रो. रेनू सिंह, प्रो. रश्मि सिंह आदि थे।