डॉ. शिवनाथ सिंह शिव

  हंसो -हंसाओ रेला एवं नवसंवत्सर अभिनन्दन सम्मान समारोह में श्रोता हुए लोट-पोट 

 

वाराणसी। पहड़िया, नक्खी घाट, तपोवन आश्रम के पास श्रीगणेश श्रीवास्तव लान में अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के संस्थापक कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक एवं अस्मिता नाट्य संस्थान के संस्थापक/महासचिव नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता के प्रमुख संयोजन/संचालन में स्वास्थ्यवर्धक हंसो -हंसाओ रेला एवं नवसंवत्सर अभिनन्दन सम्मान समारोह का आयोजन पूर्व जिला जज एवं अंतर्राष्ट्रीय गज़लकार डॉ. चंद्रभाल सुकुमार एवं सर्वदलीय गौरक्षा मंच के प्रदेश संयोजक प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के मुख्य संरक्षण और अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रमोद वाचस्पति एवं प्रदेश अध्यक्ष कवि नन्दलालमणि त्रिपाठी के स्वागत संरक्षण में निराला शब्द संवाद मंच के अध्यक्ष डा ओमप्रकाश द्विवेदी ओम् के अध्यक्षता में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों को राष्ट्रवादी हिंदू शक्ति वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रदीप कुमार गुप्ता एवं रायबरेली साहित्य रस काव्य मंच के संस्थापक डा शिव नाथ सिंह शिव ने अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र आदि भेंट करके अवधी सम्राट इन्द्रबहादुर सिंह इंद्रेश भदौरिया, सुधीर श्रीवास्तव, शिवकुमार सिंह, डा विश्वंभर दयाल अवस्थी, योगेन्द्र नारायण सिंह, सत्येन्द्र शुक्ला सजग , बलराम राय को विशेष रूप सम्मानित किया।

तत्पश्चात काशी हिन्दी विद्यापीठ के उपकुलपति डा. गिरीश पाण्डेय बनारसी, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध एवं कुलसचिव कवि इन्द्रजीत तिवारी ने संयुक्त रूप से उक्त लोगों को विद्या – वाचस्पति / विद्या – सागर आदि विशेष मानद सम्मान भेंट किया।

उपस्थित लोगों को डॉ.कैलाश सिंह विकास,राकेश चंद्र पाठक महाकाल, प्रिंस जायसवाल, डॉ.विपिन कुमार शुक्ला ने अंगवस्त्र, माल्यार्पण कर सम्मानित किया।

वाणी वन्दना सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, स्वागत वन्दना सरोज पाण्डेय सरोज ने किया।

मुख्य अतिथि द्वय डा. प्रदीप कुमार गुप्ता एवं कवि शिवनाथ सिंह शिव ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए तनावमुक्त होकर खुले दिल से हंसने – हंसाने से बड़ा महान कार्य नहीं हो सकता।

मुख्य संरक्षक प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश ने कहा कि ज़िन्दगी है जीत तो जीत है यकीन कर,अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार लो जमीन पर के भाव के साथ सदैव इक दूजे को खुशहाल बनाने के लिए हम सबको मिलजुलकर प्रयास करना चाहिए।

आयोजन अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश द्विवेदी ओम् ने कहा कि – जलने वाले यूं ही जलते रहें,हम सब हंसना – हंसाना क्यों छोड़े,जो हंसा वो फंसा,जो रोया वो अपना सब-कुछ खोया को ध्यान में रखते हुए सदैव हम सब प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें।

कवि सत्येन्द्र शुक्ला सजग द्वारा लिखित पुस्तक ओम् जय मां अम्बे का विमोचन अतिविशिष्ट अतिथि द्वय डॉ. विश्वंभर दयाल अवस्थी, नादान परिंदे साहित्य मंच के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. सुबाष चंद्र सिंह अनेकों लोगों ने किया।

हंसगुल्ला कवि सम्मेलन में कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के संचालन में अवध बिहारी अवधू ने मेरी बीबी गाय मिली है,रोज मुझे सोने से पहले दूध पिलाती है,झूठा बहाना बनाकर मुझसे रोज पैर दबवाती है,अनुज सिंह अनुज ने -इक छोरी से इक छोरा को प्यार हो गया,सारा जीवन उसका बंटाधार हो गया, सत्येन्द्र शुक्ला सजग ने-बेटा जब गधा हो तो बाप रोता है, नेता जब गधा हो तो सारा समाज रोता है, अवधी सम्राट इन्द्रबहादुर सिंह इंद्रेश भदौरिया ने -कौनों बनके जो हड़काया करें नये साल मां,उनके घर जाके डांटो अबकी होली मां, डॉ. शिवनाथ सिंह शिव ने – इक्कीसवीं सदी का आगाज किजिए, धर्म -जाति भाषा पर ना फूट कीजिए, भारत के ज्ञान गौरव का सम्मान कीजिए,डॉ. विश्वंभर दयाल अवस्थी ने -शिक्षा लेकर भी अनेकों लोगों को मांगना पड़ रहा है बेरोजगार होकर भिक्षा,अंगूठा टीप मलाई काट रहे हैं,हे सरकारी तंत्र में बैठे श्रेष्ठ जन कब तक दिग्भ्रमित कर लेते रहोगे परीक्षा, शिव कुमार सिंह शिव ने -एकदिन मैं घूमने निकला दिखा एक बंगला, उसके गेट पर लिखा था कि कुत्ते से सावधान, कुत्ते हैं, सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने- नव नगद ना तेरह उधार चाहिए,आपका मुझे तो बस प्यार चाहिए, मधुसूदन पाण्डेय ने -नव वर्ष के शुभ आगमन पर आप सबको है नमन, बलराम राय ने – मन को प्रफुल्लित रखकर गुदगुदाये रखिए, रोते हुए लोगों को हंसाए रखिए, डॉ. सुभाषचन्द्र ने – ज़िन्दगी में हर क़दम – क़दम पर मिलता रहता है दर्द, फिर भी हंसी – खुशी रहकर बन जाएं हम सब खुदगर्ज, चिंतित बनारसी ने – कश्मीर से मेरी शादी का पैगाम आया है, पाकिस्तान के रास्ते खुलेआम आया है, डॉ.गिरीश पाण्डेय बनारसी ने -बेकार हो गये, भंगार हो गये,जब से आयी है नयी पड़ोसन मालदार हो गये, सत्येन्द्र उपाध्याय ने – भऊजी हमार बड़ा मजेदार बाय, ऊंची नई सैंडिल बाय, माथे पर नाई बिंदी बाय,बोलत फर्राटेदार बाय, फायर बनारसी ने -खेतों और खलिहानों में गोला बारूद उगायेंगे, नहरों के किनारे मारूति उगाएंगे, इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने – ना इज्जत की चिंता ना पिटने का ग़म, बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम , आयोजन अध्यक्ष डॉ.ओमप्रकाश द्विवेदी ओम् ने – संस्कार, आचार- विचार जाए अपने भाड़ में, नेता, अधिकारी सिर्फ लगे हैं अपने जुगाड़ में सुनाकर श्रोताओं को लोट-पोट कर दिया।

स्वागत संबोधन करते हुए राष्ट्रवादी हिंदू शक्ति वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि डॉ. प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि हंसो और हंसाओ,फसो और फंसाओ, लेकिन किसी की बुराई नहीं, अच्छाई को ही अपनाओ, यह सीख, शिक्षा हम सबको जहां ना पहुंचे रवि, वहां पहुंच जाते हैं कवि यह आज मुझे पूर्ण कहावत को चरितार्थ होते दिखाई दिया। श्रोताओं – वक्ताओं का इस पुनीत अवसर पर मैं आभारी हूं।

धन्यवाद आभार – मुख्य संरक्षक प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं प्रमुख संयोजक नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया।

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