लखनऊ।सनातन संस्कृति के प्रमुख पर्व में छठ का विशेष महत्व है। 4 दिन तक चलने वाले इस पारंपरिक त्योहार में उपवास, पूजन, प्रकृति, सूर्य एवं स्थानीय ऋतु फलों का विशेष महत्व है। पौराणिक परंपराओं का अनुकरण करते हुए लोक संस्कृति के त्योहार छठ पर्व को अथर्व इंडिया अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान की निदेशक अनिशा कुमारी के द्वारा पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रत्येक दिन के होने वाले अनुष्ठानों को परंपरागत ढंग से निभाते हुए मनाया गया। उनके इस कार्यक्रम में धनबाद मटकुरिया के संजय कुमार, बिहार नवादा के वरिष्ठ शिक्षक राम किशुन महतो, अरविंद कुमार, पंकज कुमार, गौतम कुमार गौरव अभिनव के साथ डॉ अंशुमाला, अनुराधा, एलिजा सिन्हा जानवी, जाह्नवी सिन्हा, ईशान्वी सिन्हा आदि ने पूर्ण मनोयोग के साथ चारों दिन के महापर्व नहाए खाए, खरना, लोहंडा और सायंकालीन सूर्य को अर्क देने के साथ उगते हुए सूर्य को आज अर्क दिया। अस्त होते हुए सूर्य के साथ उदय होते सूर्य को अर्क देकर इस उपवास व्रत उपवास को पूर्ण किया।

संस्था की निदेशक अनिशा कुमारी का कहना है यह व्रत त्यौहार मैं अपने परिवार के लिए तो है ही, साथ ही हमारा उद्देश्य लोक कल्याण और राष्ट्र के कल्याण को भी दृष्टिगत रखते हुए मनाती हैं। उनके अनुसार संस्कारों, परंपराओं का जहां एक तरफ सृजन होता है वही युवा पीढ़ियां को यह सब जानने और समझने का अवसर भी प्राप्त होता है। परंपराओं का अनुकरण करना वर्तमान वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए बहुत आवश्यक है।

यह संदेश देते हुए अथर्व अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान प्रबंध निदेशक डॉ वी बी पाण्डेय ने बताया की संस्था का उद्देश्य लोक परंपराओं को सृजित करते हुए सबसे पहले संस्था के सदस्यों को उसका अनुकरण करना चाहिए और उसी क्रम में यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष की भांति लोक परंपराओं के प्रत्येक पर्व को हम सभी श्रद्धा और भावपूर्वक बनाते हैं। जिससे हमारी समृद्धशाली परंपराएं और संस्कृति संरक्षित हो सके और विश्व पटल पर एक कीर्तिमान स्थापित करती रहे।

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