
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मंच कला संकाय में मंगलवार को आयोजित कबीर गायन का कार्यक्रम आध्यात्मिकता, ज्ञान और भक्ति से सराबोर रहा। संस्कृति मंत्रालय, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय और स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ. कालूराम बामनिया ने अपने मधुर कबीर भजनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शुरुआत उन्होंने गुरुगम का सागर तमने लाख-लाख वंदन जैसी गुरु वंदना से की। उन्होंने छात्रों को संदेश दिया—
मुक्ति चाहते हो तो जीते जी ही मुक्त हो जाओ। संतों की वाणी ही मन को वश में कर सकती है।
बामनिया ने मनवा थारा मते कौन विधि समझाऊँ, मन मस्त हुआ फिर क्या बोले, डूबत-डूबत गुरुजी आपने बचायो, और तू त राम सुमर जग लड़वा दे जैसे भजनों से वातावरण में दिव्यता भर दी।
उनका प्रसिद्ध भजन —
“सद्गुरु साहिब ने मेरा भरम तोड़ दिया,
लेके सतनाम अमर विषयो से मन मोड़ दिया”
— गाते हुए छात्र-छात्राओं ने तालियों के साथ संगत की और हॉल भक्ति रस से गूँज उठा। उन्होंने समझाया कि गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं और भजन के बिना जीवन की अंधेरी दुनिया पार नहीं की जा सकती।
“भगवान एक हैं—राम रहीमा एक है, मत जानो कोई दो,”
कहते हुए उन्होंने सर्वधर्म संदेश भी दिया। कार्यक्रम में मनोज घुड़ावद (नगाड़ा), देवी दास वैरागी (ढोलक), रामप्रसाद परमार (हारमोनियम) और उत्तम सिंह बामनिया (मंजीरा) ने संगत की। कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कलाकार को शुभकामनाएँ दीं। ललित कला विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने कहा कि कबीर गायन का उद्देश्य मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन में ज्ञान की वृद्धि है।
मंच कला संकाय की अध्यक्ष प्रो. संगीता घोष ने स्वागत किया, संयोजन पवन सिह, संचालन दिव्यांशी पाण्डेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील विश्वकर्मा ने दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।
