वाराणसी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), नई दिल्ली और आईसीएआर-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, इला, गोवा के सहयोग से इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी ने "अनुकूल उत्पादन प्रणालियों और आजीविका सुरक्षा के लिए जलवायु स्मार्ट एग्रोनॉमी" विषय पर 22-24 नवंबर, 2023 तक गोवा में XXII द्विवार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह को " दक्षिण एशिया में छोटे धारकों की आजीविका और जलवायु अनुकूलता को बढ़ावा देने हेतु चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों को बदलाव" विषय पर एक व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था।

अतिरिक्त महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. राजबीर सिंह की अध्यक्षता में हुए इस सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. सुधांशु ने कहा में “चावल वैश्विक आबादी के लगभग आधे लोगों के लिए एक प्रमुख भोजन है, जिसमें एशिया एक प्रमुख उत्पादक है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन, अजैविक तनाव (सूखा, जलमग्नता, और/या लवणता), और पारंपरिक प्रबंधन क्रियाओं के साथ पारंपरिक फसल स्थापना विधियाँ जैसी चुनौतियाँ चावल की फसलों की उत्पादकता और चावल आधारित प्रणाली में रबी फसलों की उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। वर्षा आधारित पारिस्थितिकी, विशेष रूप से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में, महत्वपूर्ण कमजोरियों का सामना करती है जो कृषि-खाद्य उत्पादन प्रणालियों और किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इर्री सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ सहयोग करता है”|

 

डॉ. सुधांशु सिंह ने अत्यधिक जलवायु परिवर्तनशीलता के कारण चावल उत्पादन के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इर्री तनाव-प्रवण वातावरण में छोटे धारकों की आजीविका और जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिए के लिए समग्र दृष्टिकोण में कृषि संबंधी नवाचारों का प्रसार कर रहा है| “इर्री के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के अनुकूल उन्नत प्रजनन लाइनों और अनुकूलित कृषि के तरीकों को विकसित करने पर लगातार काम कर रहे हैं। वाराणसी में स्थित, इर्री का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र में (आइसार्क) जलवायु-अनुकूल किस्मों के तेजी से विकास के लिए स्पीडब्रीड की अति-उन्नत सुविधा भी उपलब्ध है।

 

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसे डिजिटल नवाचार और डेटा एनालिटिक्स वास्तविक समय की अंतर्दृष्टि और गतिशील कृषि-सलाहकार सेवाएं प्रदान करके जलवायु-स्मार्ट समाधान प्रदान कर सकते हैं। हाल ही में, इर्री को चावल उत्पादन को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए जलवायु अनुकूल एवं उच्च उपज वाली किस्मों के विकास करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति का उपयोग करने हेतु Google की परोपकारी शाखा, Google.org से 2 मिलियन अमरीकी डालर का अनुदान प्राप्त हुआ है।

 

डॉ. सिंह ने दक्षिण एशिया में छोटे किसानों की बेहतर आजीविका और जलवायु अनुकूल कृषि के प्रसार के लिए के लिए बड़े पैमाने पर अत्याधुनिक तकनीकों, मशीनीकरण एवं सर्वोत्तम प्रबंधन के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने एवं उन्नत जीनोटाइप के विकास के लिए सहयोगात्मक प्रयासों और साझेदारी पर जोर देकर अपनी बात समाप्त की।

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