नियमित शंखवादन से दूर होते हैं असाध्य रोग

वाराणसी। श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में परम वैष्णव परिव्राजक संत श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में ग्यारह हजार से अधिक संतों और श्रद्धालुओं ने विश्व शांति हेतु समवेत शंखनाद किया।

महायज्ञ के प्रवचन मंच, पंडाल व चतुर्दिक खड़े संतो एवं श्रद्धालुओं ने तीन चरणों में तीन बार लगातार शंख वादन किया।शंख वादन महिलाओं और बालिकाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।

 

पूज्य जीयर स्वामी जी ने कहा कि नियमित शंख वादन भटके हुए लोगों को सत्पथ पर लाता है, अनुशासित करता है। वैदिक उद्धरणों से स्वामी जी ने बताया कि हृदय रोग, मस्तिष्क, तनाव एवं अवसाद ग्रस्त लोग शंखवादन के अभ्यास से आरोग्य, आत्मशांति और आत्मानंद प्राप्त कर सकते हैं।

महायज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं शंखनाद के संयोजक जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीशिवपूजन शास्त्री ने बताया कि ज्ञात इतिहास में इतने लोगों द्वारा समवेत शंखघोष नहीं किया गया। यह कार्यक्रम भगवान भूतनाथ और भगवती अन्नपूर्णा की नगरी काशी की गौरव गाथा में एक सुनहरा क्षण है। उन्होंने वाईटल सेल्फ मेडिटेशन के माध्यम से इस दौरान अर्जित सकारात्मक उर्जा के समस्त विश्व में प्रसार हेतु प्रार्थना करायी।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए रेडक्रास सोसायटी के सचिव एवं‌ वैदिक अध्येता प्रसून कुमार मिश्र ने शंख वादन के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक शोधों ने यह स्थापित किया है कि नियमित शंख बजाने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रणाली इतनी मजबूत हो जाती है कि वैक्टिरिया एवं वायरस बेअसर हो जाते हैं।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विशेषज्ञ प्रोफेसर रामजीवन मिश्र ने विभिन्न वैदिक मंत्रों के उल्लेख से शंख का महत्व स्थापित किया।

सकलडीहा विधायक प्रभु नारायण यादव एवं दिल्ली से आए विद्वान सुनील चौधरी ने पूज्य स्वामी जी द्वारा विश्व शांति हेतु आयोजित इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताते हुए उनके प्रति आदर व्यक्त किया।

जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री अयोध्यानाथ स्वामी के नेतृत्व में आयोजन समिति कोषाध्यक्ष यज्ञेश त्रिपाठी, उपाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह उर्फ मुन्ना जी, पं. जय प्रकाश चतुर्वेदी, अशोक उपाध्याय, वाचस्पति पाण्डेय, सुनील पाठक एवं प्रतिबद्ध स्वयंसेवकों ने सभी श्रद्धालुओं को शंख वितरण एवं कार्यक्रम के समन्वय में अनथक परिश्रम किया।

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