वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में शनिवार को ‘भारत मे जाति की बदलती गतिशीलता: राजनीति एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ के प्रो. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय संदर्भ में समाजशास्त्र को समझना है तो सबसे पहले जाति, धर्म और वर्ग को समझना होगा। इन तीनो का आपस मे गूढ़ संबंध है और यही भारत की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों को प्रभावित करते है। उन्होंने कहा कि भारत मे धर्म परिवर्तन का मुख्य कारण स्वयं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करना और समाज में सम्मानजनक स्थिति में रखना रहा है। जातिवाद की समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नही है, विदेशों में भी यह विषय रहा है। पुर्तगाल और स्पेन में भी जाति जैसे शब्द चलन में मिलते है।

प्रो. सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण ने भारत से जाति आधारित पहचान को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई है। देश मे सर्वाधिक अनुसूचित जाति की आबादी पंजाब में है लेकिन एक भी बड़ा जातीय आंदोलन नही दिखलाई पड़ता है। पंजाब में 1995 के बाद दलित मिलेनियर शब्द भी ज्यादा चलन में आया है, जिसे वैश्वीकरण के प्रभाव में ही देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब और हरियाणा में डेरा समूह का दखल अत्यंत प्रभावशाली हो चुका है और धार्मिक रूप से वे ना तो हिन्दू है और ना ही सिख।

अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. मधु सिसोदिया ने किया। स्वागत डॉ. ज्याउद्दीन, संचालन डॉ. सूर्य प्रकाश पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हसन बानो ने दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. नेहा चौधरी, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अनुराग यादव आदि सहित बड़ी संख्या में छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *