वाराणसी। प्राचीन वैदिक संस्कृति एवं संस्कृत के संरक्षण – संवर्धन के लिए समर्पित काशीराज डॉ विभूतिनारायण सिंह द्वारा स्थापित विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम के तत्वावधान में काशी में पहली बार गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रसिद्ध रचना रामलला नहछू का संस्कृत अनुवाद शनिवार को कमच्छा स्थित कृष्णा अपार्टमेंट में आयोजित एक समारोह में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र मीमांसा विभागाध्यक्ष प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम संयोजक चक्रवर्ती विजय नावड ने बताया कि इस अवसर पर श्री राम मंदिर के मुहूर्तकर्ता काशी के सुप्रसिद्ध वैदिक विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे ।

अतिथियों का स्वागत विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम की अध्यक्षा महाराज कुमारी कृष्णप्रिया ने किया।

इस अवसर पर रामनगर दुर्ग में आयोजित अथर्ववेद की शौनक शाखा के संपूर्ण कंठस्थ शाखा पारायण करने वाले अथर्ववेद के मूर्धन्य वैदिक विद्वान श्री दिनकर जोशी के शिष्य परभणी महाराष्ट्र के वैदिक विद्वान श्री किरण गोसावी (परायणकर्ता) एवं सावरगांव महाराष्ट्र से पधारे श्री देशिक कस्तूरे गुरु जी ( पारायण श्रोता) को महाराजकुमारी विष्णुप्रिया, महाराजकुमारी हरप्रिया एवं महाराजकुमारी कृष्णप्रिया ने स्वर्ण अंगूठी, अंगवस्त्रम एवं मानपत्र देकर सम्मानित किया ।

कार्यक्रम में नई दिल्ली प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री आनंद साहू की ओर से भी वैदिक विद्वानों का सत्कार किया गया। विश्व सांस्कृत प्रतिष्ठानम की अध्यक्षा महाराजकुमारी कृष्णप्रिया ने मूर्धन्य वैदिक विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ एवं प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे को काशीराज डॉ विभूतिनारायण सिंह कीर्ति अलंकरण से सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन संयोजक चक्रवर्ती विजय नावड ने किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ अशोक सिंह,कुवर ईशान,कुवर श्रीवल्लभ नारायण सिंह, पं प्रकाश मिश्र,दीपेश चौधरी,, इन्द्रजीत तिवारी निर्भिक ,नागेंद्र वाजपेई ,चंद्रशेखर घनपाठी, डॉ कैलाश सिंह विकास,हरिनारायण शारदा, डॉ रागिनी सरना सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *