संस्कृत मात्र एक भाषा ही नहीं बल्कि यह भारतीय संस्कृति का मूल आधार है क्योंकि भारतीय सभ्यता की जड़ें इसमें निहित हैं, जो हमारी परम्परा को गतिमान करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

संस्कृत अमृत भाषा है जो सभी को अमृत्व प्रदान करती है।

उक्त विचार आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी

में 12 मार्च से आयोजित होने वाले विश्व कल्याण सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण हेतु संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण-महायज्ञ में आहुति देने के बाद वाराणसी के सुप्रसिद्ध समाजसेवी/ उद्योगपति एवं विश्वविद्यालय विकास समिति के अध्यक्ष आर के चौधरी ने व्यक्त किया।

उद्योगपति एवं समाजसेवी आर के चौधरी ने कहा कि प्राच्यविद्या एवं भारतीय ज्ञान परम्परा संरक्षण हेतु स्थापित अनवरत 234 वर्षों से यह संस्था आज आर्थिक दृष्टि में जर्जर हो गयी है आज इसके संरक्षण की जरूरत है यदि यह संस्था सुरक्षित होगी तभी संस्कृत और हमारी सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा हो सकेगी।हमारे जीवन के सभी संस्कार संस्कृत शास्त्रों के आचरण से उत्पन्न हुये हैं।इसी से हमारे भविष्य की रक्षा होगी।इसलिए हमें अपने आचरण की रक्षा करने के लिए वृहद प्रयास करने की जरूरत है।स्थायी निराकरण करने की दृष्टि में इस संस्था को केंद्रीयकरण करने की पहल हम सभी काशी वासियों को करना चाहिये।तभी य़ह संस्था समृद्ध होकर देववाणी संस्कृत का व्यापक संरक्षण होगा।

उस दौरान विकास समिति के सदस्य एवं प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति अशोक अग्रवाल ने कहा चारों वेदों का अध्ययन- अध्यापन करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध एवं संस्कृत भाषा को आज तक संरक्षित करते हुए अपनी संस्कृति के अनुरूप यहां तीन दिन पूर्व से प्रारम्भ हुये निरन्तर एक वर्ष तक चलने वाला महायज्ञ से काशी ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश खुशहाली और स्वस्थ वातावरण का निर्माण होगा।आज काशी के प्रत्येक वर्ग को मिलकर इस महायज्ञ को सफ़ल बनाने के लिये संकल्पित विचारधारा के साथ आगे आना चाहिए। हम सभी को महायज्ञ की स्थली इस प्राचीन विद्या मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये मिलकर एक स्वर से माननीय प्रधानमन्त्री जी से अनुरोध के साथ एक प्रस्ताव दिया जाना चाहिए।लोक संस्कृति एवं संस्कार के उत्थान के लिये य़ह संकल्पित महायज्ञ किया जा रहा है।इसके लिए काशी वासियों से आग्रह है कि वर्ष भर चलने वाले इस महायज्ञ में स्वंय उपस्थित होकर यजमान बनकर यज्ञ कुंड में आहुति देते हुए मन्त्रों से अभिसिंचित हों।

उस दौरान संस्था के अभ्युदय एवं उत्थान में अनवरत प्रयासरत कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि वेद विभाग के यज्ञशाला में वर्ष भर चलने वाले औषधि युक्त सामग्री के साथ होने वाले महायज्ञ में विश्व कल्याण एवं राष्ट्रीयता की रक्षा की भावना निहित है।सम्पूर्ण देश में चारों वेदों का संरक्षण और अध्यापन इसी संस्था के द्वारा की जा रही है।इस महायज्ञ में ज्योति जलाने वाले तथा इस संस्था के अभ्युदय एवं संवर्धन के लिए काशी वासियों ने बढ़चढ़कर सहभाग कर रहे हैं।जिसके लिये राजनेताओं, उद्योगपतियों एवं बुद्धजीवियों ने संस्था के स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की पहल पर विचार बीज रोपित कर रहे हैं।शीघ्र ही यह प्रयास अंकुरित होकर फलदार विशाल वृक्ष के रूप में स्थापित होगा।जिसमें विश्वविद्यालय विकास समिति के सभी सदस्यगण का सुझाव और सहयोग प्राप्त हो रहा है।

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