वाराणसी। संत अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल कोईराजपुर में चल रहें सिडबी स्पिक के तत्वाधान में तबले की कार्यशाला का समापन रविवार को बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक पं कामेश्वर नाथ मिश्रा के एकल तबला वादन के साथ हुआ। उन्होंने सर्वप्रथम विद्यालय के विद्यार्थियों के साथ बनारस बाज के कायदे को तबले पर सयुंक्त रूप से वादन कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वाद्य पांच प्रकार के होते हैं। तबला पखावज ढोलक और नगाड़ा इत्यादि ये सभी एक अवनद्य वाद्य यंत्र है। विश्व के सभी संगीत में इन्ही वाद्य यंत्रो के प्रयोग द्वारा बजाये जाते हैं। संगीत को 8 प्रहर में बाँट कर राग बनाया गया है। 64 कलाओं में संगीत सर्वोत्तम है। हमारा व्यक्तित्व गुरु की कृपा से ही निखरता है। गुरु हमेशा मनुष्य को आदर का पात्र बनाता है। उन्होंने काशी के सम्पूर्ण कलाकारों के जीवनी पर अपनी संकलित की हुईं एक ग्रन्थ ‘काशी की संगीत परंपरा एवं संगीत जगत को काशी का योगदान’ पुस्तक को विद्यालय में भेंट स्वरुप प्रदान किया। छात्रा नें श्रेया त्रिपाठी शास्त्रीय गीत हे गोविन्द हे गोपाल राखो शरण में… सुना कर सबको भाव विभोर कर दिया। विद्यालय के सचिव राहुल सिंह नें कहा कि बनारस घराने के संगीत की सभी विधाओं में बहुत ही मधुरता है। सिडबी स्पिक मैके के सराहनीय पहल से आज विद्यार्थी अपनी प्राचीन वाद्य यंत्रो से परिचित एवं जागरूक हो रहें हैं। संगीत हर मनुष्य के दिल में बसता है। प्रकृति का संगीत ही ओम है। हमारे माता पिता का सम्मान अनुशासन से ही है। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ संत अतुलानन्द कान्वेंट स्कूल के सचिव डॉ राहुल सिंह एवं निदेशिका डॉ वंदना नें माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर किया। कार्यक्रम के अंत में पं कामेश्वर नाथ मिश्रा को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। स्वागत प्रधानाचार्य डॉ नीलम सिंह विषय प्रवर्तन स्पिक मैके की समन्वयक डॉ विभा सिंह संचालन छात्रा इफरा सानिया धन्यवाद ज्ञापन गौरव केशरी नें व्यक्त किया। उक्त अवसर पर पवन सिंह सुनीता पाण्डेय प्रमोद विश्वकर्मा सहित छात्र छात्राएँ उपस्थित रहें।

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