वाराणसी। धर्म विद्वेष नही बल्कि सदभावना का भाव उत्पन्न करता है। आज सारी दुनिया धर्मों में बंटी है लेकिन भक्ति कविता और गुरुबाणी दोनों सिर्फ और सिर्फ जोड़ती है। उक्त विचार मंगलवार को डीएवी पीजी कॉलेज में माता साहिब कौर गर्ल्स कॉलेज, बरनाला, पंजाब के प्राचार्य प्रो. चरणदीप सिंह ने हिन्दी विभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किया। हिन्दी भक्ति कविता और पंजाबी का गुरमति साहित्य : प्रभाव एवं अंतः सम्बन्ध विषय पर बोलते हुए प्रो. चरणदीप सिंह ने कहा कि हिन्दी भक्ति कविताओं में जिस प्रकार कबीर जाति पाति के बंधन को तोड़ते हुए दिखलाई पड़ते है, वे मन को परमात्मा के साथ जोड़ते है। ठीक उसी प्रकार गुरुबाणी भी है जिसमे कोई बंधन नही है। सिख धर्म में प्रचलित खालसा शब्द भी कबीर की बाणी से आया है। उन्होंने यह भी कहा कि परमात्मा का कोई मजहब नही है, वे सभी बंधनो से परे है। अंग्रेजो ने मजहब के आधार पर बांटने का कार्य किया।

विशिष्ट वक्ता किरोड़ीमल कॉलेज, नई दिल्ली से आयी प्रो. शोभा कौर ने कहा कि भारत भक्ति, आध्यात्म और करुणा की भूमि है। 14 वीं शताब्दी में गुरूनानक देव भारतीय संस्कृतियों पर छाए काले बादलों से चिंतित रहते है, जिसके बाद वे समूचे भारत का भ्रमण करते है और सबके साथ संवाद स्थापित कर आत्मिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करते हुए समाज को जोड़ते है। उन्होंने भक्ति का समान अधिकार प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सिख धर्म की गुरु परम्परा राजसत्ता को लोक सत्ता में बदलने का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

अध्यक्षता करते हुए कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल जी ने कहा की हिन्दी भक्ति कविता हो या पंजाबी गुरमति साहित्य दोनों ही साहित्य एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए है, इन दोनों साहित्य में भक्तिरस, नम्रता और सौहार्द का भाव है। उन्होंने कहा की गुरमति साहित्य काफी समृद्ध है और वह जटिल समस्याओं को सुलझाने में भी सक्षम है।

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. अरविंद नारायण मिश्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. मनोज सिंह, डॉ. अमित कुमार पाण्डेय, डॉ. गगनप्रीत सिंह, डॉ. विंध्याचल यादव ने भी विभिन्न सत्रों में विचार रखे।

संचालन प्रो. समीर कुमार पाठक, स्वागत प्रो. राकेश कुमार राम एवं धन्यवाद प्रकाश डॉ. नीलम सिंह ने दिया। इस मौके पर प्रो. मिश्रीलाल, डॉ. राहुल, डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ. विश्वमौली सहित समस्त विभागों के प्राध्यापक एवं छात्र छात्राएं शामिल रहे।

संगोष्ठी का शुभारंभ गुरुनानक खालसा गर्ल्स स्कूल की छात्राओं द्वारा गुरुबाणी की प्रस्तुति से हुई। इस अवसर पर अतिथियों ने माँ सरस्वती एवं गुरु नानकदेव के चित्र पर पुष्पांजलि किया।

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