वाराणसी। मुंशी प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट, लमही की ओर से प्रेमचंद स्मारक लमही में आयोजित दैनिक कार्यक्रम सुनों मैं प्रेमचंद के 1140 दिन पूरे होने पर संस्था के संरक्षक डाॅ. रामसुधार सिंह ने कहा कि बीसवीं सदी के आरंभ में जहाँ तिलस्मी, ऐयारी जैसी साहित्य की भरमार थी वही हिंदी कहानियों को जीवन की नयी समस्याओं से जोड़ने का प्रयास सर्वप्रथम कथा सम्राट प्रेमचंद ने किया। प्रेमचंद ने उपन्यास और कहानियाँ दोनों विधाओं में आदर्श और यथार्थ की स्थापना की। इससे एक नये युग का निमार्ण हुआ जिसे प्रेमचंद युग माना जाता है। श्रद्धानन्द ने कहा कि प्रेमचंद जी की कहानी ‘विचित्र होली में प्रेमचंद जी नई पीढ़ी के नवजवानों में समाज के प्रति अपना कर्तव्य जागृत करने का प्रयत्न करते हैं। विशाल प्रजापति को प्रेमचंद मित्र नामित किया गया।

प्रेमचंद की कहानी विचित्र होली का पाठ रंगकर्मी नवीन चंद्रा ने किया । इस अवसर पर प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव , डाॅ. मनोज श्रीवास्तव, डा. मनोज श्रीवास्तव, कृष्ण कुमार सिंह, मारकण्डेय यादव, मोहित, सुरेश चंद्र दूबे, सुर्यभान सिंह,उमेश भाटीया, विवेक, आदीत राय, अजय श्रीवास्तव, रामजी सिंह, मनोज विश्वकर्मा ,मनोज श्रीवास्तव,मेवालाल श्रीमाली, राहुल विश्वकर्मा, देव बाबू, प्रांजल कुमार, प्रमोद मौर्य संचालन संस्था के निदेशक राजीव गोंड ने किया।

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