वाराणसी। महात्मा गांधी इस बात से भलीभाँति अवगत थे कि भारत जैसा विशाल देश कभी एक विचारधारा में सीमित होकर नही चल सकता, इसलिए उन्होंने सभी विचारधाराओं के समन्वय के साथ स्वतंत्र भारत की परिकल्पना की थी। उक्त विचार बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय ‘भारतीय राजनीतिक चिंतक एवं उनकी वर्तमान प्रासंगिकता’ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन गांधी अध्ययन पीठ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व निदेशक प्रो. आर.पी. द्विवेदी ने व्यक्त किये। रामराज्य पर गांधी के विचार विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि गांधी विश्व के सहस्त्राब्दी पुरुष है, उनके विचार कभी भी अप्रासंगिक हो ही नही सकते। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जब सपरिवार भारत आये तो उन्होंने भारतभूमि को नमन करते हुए तीर्थ भूमि कहकर संबोधित किया, उन्होंने कहा कि जिस भूमि में गांधी जी जैसे महापुरुष का जन्म हुआ वह भूमि पर्यटन की नही बल्कि तीर्थ स्थल है।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि गांधी के रामराज्य की अवधारणा राम के साकार स्वरूप से कही आगे उनके आदर्शों के लिए जानी जाती है जिसमे सबके लिए प्रेम, करुणा का भाव, मानव जीवन की रक्षा और प्रत्येक मानव में ईश्वर का वास जैसा भाव शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी पर टिप्पणी करने से पहले गांधी के विचारों को जानना सबसे जरूरी है, गांधी का अहिंसावादी सिद्धांत पूरी दुनिया के लिए सदैव अनुकरणीय रहेगा। इसके पूर्व उनका स्वागत विभागध्यक्ष डॉ. प्रियंका सिंह ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया। संचालन संयोजिका डॉ. प्रतिमा गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विकास सिंह ने दिया। इस अवसर पर डॉ. स्वाति सुचरिता गुप्ता, डॉ. गौरव मिश्रा, डॉ. गिरीश दुबे, डॉ. सूर्य प्रकाश पाठक सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी शामिल रहे।

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