पं. दीनदयाल के एकात्म मानववाद पर प्रो.टी.पी. सिंह ने रखे विचार

 

वाराणसी। सतीश चन्द्र कॉलेज, बलिया के सहायक प्रोफेसर डॉ. शुभनीत कौशिक ने कहा कि पण्डित जवाहरलाल नेहरू वैश्विक राजनीति को शिद्दत से महसूस करने वाले वैश्विक नेता थे। ऐसे दौर में जब पूरी दुनिया में तृतीय विश्व युद्ध की आहट हो रही थी उस दौर में नेहरू ने गुट निरपेक्ष आंदोलन की बुनियाद रखी थी। डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में चल रहे सात दिवसीय ‘भारतीय राजनीतिक चिंतक एवं उनकी वर्तमान प्रासंगिकता’ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के छठें दिन ‘आधुनिक भारत के शिल्पकार जवाहरलाल नेहरू’ विषय पर व्याख्यान देते हुए डॉ. कौशिक ने कहा कि स्वाधीन भारत मे नेहरू ने तीन बिंदुओं पर प्रमुखता से कार्य किया जिनमे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, देशी रियासतों का मामला एवं किसानों और श्रमिको का उत्थान। इसके अलावा नेहरू ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्माण के लिए भी अनवरत प्रयास किये, संघ और राज्यों के संबंध को प्रगाढ़ करने के लिए 16 वर्षो तक राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रांतीय अध्यक्षो को लिखे उनके पत्र इसके साक्षी है। उन्होंने कहा कि नेहरू विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत का विकास देखते थे, उन्होंने शिक्षा पर महत्वपूर्ण कार्य किये जिसके परिणाम आज भी दिखलाई पड़ते है।

इसके पूर्व के सत्र में पण्डित दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का सिद्धांत विषय पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. टी.पी.सिंह ने कहा कि

पण्डित दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म मानवतावाद समावेशिता, समग्र दृष्टिकोण पर आधारित था न कि परमाणुवादी दृष्टिकोण पर। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं के संश्लेषण, एकीकरण और परस्पर संबद्धता पर जोर दिया।

उनका एकात्म मानवतावाद का विचार सिद्धांत, मूल्यों और स्रोतों के संदर्भ में ईसाई अथवा यूरोपीय एकात्म मानवतावाद से अलग था। उन्होंने विकेंद्रीकरण, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की वकालत की, इसके साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के लिए कृषि और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में काम करने पर बल दिया।

अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के उपाचार्य प्रो. समीर कुमार पाठक ने कहा कि विद्यार्थियों को गांधी, नेहरू, पटेल जैसे व्यक्तित्व से संबंधित मूल साहित्यों का अध्ययन करना चाहिए, यह समय काफी महत्वपूर्ण है नेहरू के कृतित्व का स्मरण करने के लिए। नेहरू अपनी व्यवहार कुशलता के लिए सदैव जाने जाएंगे, जिनके मुरीद उनके विरोधी भी थे।

अतिथियों का स्वागत डॉ. प्रतिमा गुप्ता, विषय प्रवर्तन डॉ. प्रियंका सिंह, संचालन डॉ. विकास सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गिरीश दुबे ने किया। इस मौके पर डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा, डॉ. राकेश द्विवेदी, डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. शोभनाथ पाठक, डॉ. महिमा सिंह, डॉ. शशिकांत यादव, डॉ. गौरव मिश्र आदि उपस्थित रहे।

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