रिपोर्ट उपेन्द्र कुमार पांडेय, आजमगढ़ 

 

 

आजमगढ़।सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता रानी की पूजा करते हैं।

प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का बहुत महत्व होता है, लेकिन आखिरी के तीन दिन सप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अष्टमी और नवमी पर घर-घर में पूजा, हवन, कन्या पूजन आदि धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। वहीं जो लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं वे अष्टमी-नवमी पर इसका पारण करते हैं

नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता रानी की पूजा करते हैं। पहले दिन घटस्थापना की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस वर्ष 09 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है।

इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा

माता रानी की विदाई हाथी पर होगी जो कि शुभ माना गया है

“माता रानी का घोड़े पर आगमन अशुभ माना जाता है लेकिन हाथी पर विदाई शुभ माना जाता है इसलिए समाज एवं देश के लिए मिला-जुला फल रहेगा”

ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल के अनुसार 09 अप्रैल 2024को रेवती नक्षत्र वैधृति योग मीन राशि में बुध शुक्र चंद्र स्थिति रहेंगे जो कि शुभकारी है

कलश स्थापना- सुबह 06.00 सुबह 10.14मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11.56 – दोपहर 12.46मिनट तक

चैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि

नवरात्रि के आठवें दिन महा अष्टमी मनाई जाती है और मां महागौरी की पूजा होती है। इस बार चैत्र शुक्ल की अष्टमी तिथि 15 अप्रैल 2024 को दोपहर 03.16 मिनट से शुरू होगी और 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 04.17 पर समाप्त होगी। ऐसे में चैत्र नवरात्रि में महाष्टमी 16 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी

चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 04.18से शुरू होकर 17 अप्रैल 2024 को शामं 05.22 तक रहेगी। ऐसे में नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन देवी की नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही इसी दिन दोपहर 12बजे के नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जायेगा

चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर राम नवमी यानी प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल

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